देवब्रत मंडल

एक तरफ रेलवे स्लीपर कोच के यात्रियों को बेडरॉल की सुविधा प्रदान कर रही है तो दूसरी तरफ एसी कोच में बेडरॉल उपलब्ध करा रहे कोच अटेंडेंट को कई महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है। ताजा मामला पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल के गया जंक्शन से खुलने वाली ट्रेनों के अटेंडेंट से जुड़ा हुआ है। कोच अटेंडेंट का काम कर रहे मजदूरों की आजीविका पर असर पड़ रहा है।
नियमित रूप से कभी नहीं होता वेतन का भुगतान
एक कोच अटेंडेंट ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन नहीं मिला। अब दिसंबर भी आधा गुजर रहा है। ऐसे में अटेंडेंट के समक्ष आर्थिक समस्याएं पैदा हो गई। बार बार संवेदक द्वारा वेतन देने के नाम पर टाल मटोल कर रहे हैं। साल में कई बार ऐसा हुआ है कि समय पर वेतन का भुगतान करने में संवेदक घंटी सिंह, उनके स्थानीय कर्मचारी कृष्णा सिंह, सुभाष कुमार बहला फुसलाकर कर्मचारियों को मनवा लेते हैं।
चार ट्रेनों में ये सभी अटेंडेंट करते हैं कार्य
गया जंक्शन से खुलने वाली तीन ट्रेनों में ये सभी अटेंडेंट एसी कोच में यात्रियों को चादर, कंबल, तकिया एवं इसके कवर उपलब्ध कराने का काम करते हैं। कभी कभी तो कुछ यात्री ऐसे होते हैं जो बेडरॉल में मिलने वाली कुछ वस्तुओं को लेकर चल देते हैं, खामियाजा भुगतना पड़ता हैं इन कोच अटेंडेंट को। राशि इनकी मजदूरी से काट ली जाती है। इन कर्मचारियों का कहना है कि अन्य जगहों पर अटेंडेंट को खाने पीने की राशि भी संवेदक दिया करते हैं लेकिन यहां कुछ नहीं मिलता है।
45-50 कोच अटेंडेंट यहां कर रहे कार्य
गया-नई दिल्ली महाबोधि एक्सप्रेस, गया-चेन्नई एक्सप्रेस तथा गया-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस तथा गया-नई दिल्ली क्लोन(स्पेशल)एक्सप्रेस में ये सभी अटेंडेंट काम करते हैं। फिलहाल गया-नई दिल्ली स्पेशल ट्रेन का परिचालन स्थगित कर दिया गया है। इन ट्रेनों में काम कर रहे कोच अटेंडेंट ने बताया कि कई ऐसे लोग हैं जिन्हें 8-10 दिन बाद किसी एक ट्रेन में ड्यूटी लगाई जाती है। जबकि फेरे के अनुसार इन्हें वेतन दिया जाता है। इनकी संख्या करीब 45-50 के आसपास है।
कभी भी हड़ताल पर जाने की बात कह रहे अटेंडेंट
एक अटेंडेंट ने बताया कि अक्टूबर का वेतन 10 नवंबर को देने का वादा किया गया, वो पूरा नहीं हुआ। नवंबर के वेतन के लिए जल्द भुगतान की बात कही गई लेकिन नहीं हो सका है और अब दिसंबर में 14 दिन बीत गए हैं लेकिन भुगतान के लिए टाल मटोल किया जा रहा है। यदि भुगतान नहीं हुआ तो पूर्व की तरह हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
