✍️वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

गया नगर निगम उपचुनाव 2023 के नतीजे रविवार(11जून) को आ जाएंगे। वार्ड नं 15 और 26 में पार्षद पदों के लिए क्षेत्र के मतदाताओं ने अपना काम कर दिया। उम्मीदवार जितने भी हैं, उनके लिए शनिवार की रात भारी पड़ रही है। क्योंकि पिछले छः महीने से इसी दिन का इन दो वार्ड की जनता के साथ साथ पूरे शहर की जनता को इंतजार कर रहे हैं कि इन दोनों वार्ड में आखिर जनता किसके पक्ष में अपने मतों के जरिए फैसला सुनाती है। वो घड़ी अब काफी नजदीक आ गई है।
सबकी नजर ‘हॉट शीट’ पर
गया नगर निगम की जनता वार्ड नं 26 को ‘हॉट शीट’ मान चुकी है। इसकी वजह है कि यह सीट पहले अबरार अहमद के पास था। उन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया था और खुल कर उन्होंने कहा था कि यह सीट पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के लिए छोड़ दी है। कारण कि मोहन श्रीवास्तव पार्षद रहते अपने वार्ड नं 11 से चुनाव हार गए थे। यहां इन्हें पूर्व पार्षद के पुत्र कुंदन कुमार ने हरा दिया था।
26 नंबर वार्ड एक प्रकार से ‘सुरक्षित’ माना जाता है
वार्ड नं 26 से अबतक पार्षद अबरार अहमद रहे हैं। 2002 से इस सीट पर श्री अहमद का एकाधिकार सा रहा है। निर्विरोध चुने जाने की परंपरागत यह सीट सुरक्षित माना जाता था। लेकिन, इस उपचुनाव में यह परंपरा टूट गई। यहां से जब मोहन श्रीवास्तव के नामांकन की बात आई तो इनके विरुद्ध तीन और लोगों ने उम्मीदवारी ठोक दी। लेकिन मुख्य मुकाबला मो. अशिफ़ से हो गया। वैसे तो यहां पूर्व वार्ड पार्षद असद परवेज उर्फ कमांडर भी चुनाव मैदान में हैं। पर राजनीति की गोटी खेलने में माहिर कमांडर चुनाव मैदान में रहकर भी बाजी पलटने के फिराक में लग गए।
अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्ड है 26
वार्ड नं 26 अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्ड है। सर्वाधिक मतदाता इसी वर्ग से आते हैं। हालांकि इस वार्ड में गैर मुस्लिम भी वोटर हैं। जिन्होंने 09 जून को अपने अपने मताधिकार का प्रयोग कर चारो प्रत्याशी के लिए वोट कर चुके हैं। अब सभी को इंतजार है तो बस 11 जून को होने वाले मतगणना की।
जोड़ी बरकरार रहती है या टूटती है

गया नगर निगम में पिछले पांच साल से मेयर बीरेन्द्र कुमार उर्फ गणेश पासवान और मोहन श्रीवास्तव की जोड़ी जगजाहिर है। इन दोनों के मेयर और डिप्टी मेयर रहते शहर में विकास के कई कार्य हुए। भले ही लोग इसमें कथित लूट की बात कहते हुए आ रहे हैं। लेकिन, इन सब से अधिक कोरोना काल में इन दोनों के द्वारा किए कार्य को जनता शायद भूल नहीं पाएगी। शहर को स्वच्छता रैंकिंग में सबसे ऊपर लाने का श्रेय इन दोनों की जोड़ी को जाता है। अब जनता पर इन दोनों को पूरा भरोसा है कि मतदाता इतने निष्ठुर नहीं हैं, जो इन सभी बातों को भूल जाए। 11 जून को परिणाम आने के बाद ही कहा जा सकता है कि इनकी जोड़ी सलामत रहती है या फिर टूटती है।
हार या जीत यही दो बातें होती है किसी भी चुनाव में
अंततः हर चुनाव के शुरू होने से लेकर मतों की गिनती तक मुख्य रूप से यही दो बातें होती है। एक जीतता है तो सामने जो भी रहे हैं वे हार जाते हैं। करीब 2688 मतदाता इस वार्ड में वोट डालने का काम कर चुके हैं। उम्मीदवार चार हैं। अब किनके खाते में कितना जाता है, ये तो 11 जून को ईवीएम ही बताएगा। तब तक आज की रात अंतिम है और यही रात सबके लिए भारी पड़ रहा है।