देवब्रत मंडल

230 गया टाउन विस क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 279287 है। 11 नवंबर को देर शाम मतदान के बाद बताया गया कि इस विधानसभा क्षेत्र में 59.47% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया है। इस हिसाब से देखा जाए तो 1,66,091.9789(करीब एक लाख 66 हजार 92) मतदाताओं ने मतदान किया है। हालांकि कुछ मतदान केंद्रों से अंतिम रिपोर्ट नहीं आने की बात कही गई है। यदि कुछ और मतों का हिसाब किताब का अनुमान लगाया जाता है तो यह संख्या एक लाख 66 हजार 200 भी मान लिया जाए तो मतगणना के बाद चुनाव परिणाम इतने मतों में से ही हो सकता है।
पिछली बार शेष 25 अभ्यर्थियों को 10,285 मत प्राप्त हुए थे
इस बार मुख्य रूप से भाजपा के सीटिंग विधायक डॉ प्रेम कुमार और कांग्रेस के प्रत्याशी अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के बीच ही रहा। हर बूथ पर मतदान करने के बाद मतदाताओं ने कहा कि इन्हीं दोनों के बीच कड़ी टक्कर है। पिछली बार 2020 के चुनाव में भाजपा के डॉ प्रेम कुमार ने जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर मोहन श्रीवास्तव रहे थे। प्रेम कुमार को 66,932 वोट मिले थे, जबकि मोहन श्रीवास्तव को 55,034 वोट प्राप्त हुए थे। जबकि शेष 25 अभ्यर्थियों को 10,285 मत प्राप्त हुए थे।
2020 के चुनाव में यहां कुल 27 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे इस बार 22 प्रत्याशी हैं।
डॉ प्रेम कुमार को 50.45% तथा मोहन श्रीवास्तव को 41.48% मिले थे
डॉ प्रेम कुमार को 50.45% तथा मोहन श्रीवास्तव को 41.48% मत मिले थे। जीत हार के मतों का अंतर 11, 898 थे। 2020 के चुनाव में कुल 131,701 वोट डाले गए थे। जबकि इस बार 1,66,092 वोट पड़े हैं। देखा जाए तो इस बार 34,391 वोट अधिक डाले गए हैं। जो दर्शाते हैं कि वोटरों की जब संख्या बढ़ी तो उत्साहित होकर नए मतदाताओं ने अपने अपने मताधिकार का प्रयोग बढ़चढ़ कर किया है। इस बार जब वोटों की संख्या बढ़ी है तो इसका चुनाव परिणाम पर असर पड़ेगा।
जनसुराज के वोटों पर सबकी नजर, हार जीत का लगा रहे अनुमान
सबसे बड़ी बात है कि इस बार जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार धीरेंद्र अग्रवाल को भी वोटरों ने वोट किया है। धीरेंद्र अग्रवाल को कितने वोट पड़े हैं, इसका अनुमान महागठबंधन और एनडीए के लोग लगा रहे हैं। धीरेंद्र अग्रवाल जिस जाति/वर्ग से आते हैं, उस जाति और वर्ग के लोगों की संख्या 230 गया विधानसभा चुनाव क्षेत्र में अच्छी खासी है। सबके मन में यही प्रश्न उठ रहे हैं कि श्री अग्रवाल को कितने वोट पड़े होंगे। दोनों गठबंधन अपनों से ज्यादा इनके वोटों का हिसाब किताब लगा रहे हैं। 11 नवंबर को मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद लोगों में इसी बात की चर्चा रही कि यदि जनसुराज के धीरेंद्र अग्रवाल 8-10 हजार वोट हासिल कर लेते हैं तो यहां परिवर्तन देखने को मिलेगा।
सवाल खड़े हो रहे जनसुराज को किस हद तक लोगों ने दिया साथ
इस बीच यह भी चर्चा हो रही है कि श्री अग्रवाल को बनिया समाज(वैश्य समाज) उतनी मदद नहीं की है जितनी की अपेक्षा की जा रही थी। वैश्य वर्ग को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है जिसे जनसुराज नहीं तोड़ पाया। फिर भी लोगों में चर्चा है कि 5000 से अधिक वोट जनसुराज को मिलने जा रहा है।
महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी को इस बार सभी वर्गों का साथ
वहीं इस बार मतदान केंद्रों के बाहर यह सुनने और देखने को मिले कि कांग्रेस के प्रत्याशी मोहन श्रीवास्तव को उनके समाज(कायस्थ) के लोगों ने बढ़चढ़ कर वोट किया है। जो पिछली बार भाजपा को किए थे। वहीं मोहन श्रीवास्तव को इस बार हर जाति और वर्ग के लोगों का वोट मिला है। खासकर ईबीसी के वोटरों की बात कही जा रही है। वहीं यादव और मुस्लिम ने कांग्रेस को परंपरागत रूप से वोट किया है। सबसे बड़ी बात जो देखने और सुनने को मिले हैं कि कुशवाहा और कुर्मी समाज जो कि जदयू(एनडीए) के कोर वोटर माने जाते हैं ने भी मोहन श्रीवास्तव के पक्ष में इस बार मतदान किया है। हालांकि इस जाति के अधिकांश मतदाताओं ने प्रेम कुमार के पक्ष में मतदान किया है।
भाजपा के कट्टर समर्थक भी दिख रहे थे नाराज, खुलकर आए सामने
वहीं भाजपा के कट्टर समर्थक रहे लोगों में भी डॉ प्रेम कुमार से प्रति नाराज दिखाई दे रहे थे। जो इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के साथ खुलकर खड़े नजर आए। यानि भाजपा के वोट में सेंधमारी होती है तो चुनाव परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं। कुछ कट्टर हिंदू समर्थक कहे जाने वाले भी इस बार जनसुराज के साथ लगे हुए थे लेकिन वोट ट्रांसफर करवा सके कि नहीं, ये तो मतों की गिनती के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
…और अंत में
महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी लड़ाई में जनसुराज की उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता है। वहीं बाकी प्रत्याशियों के वोट यदि पिछली बार की ही तरह 10 से 12 हजार वोट ले जाते हैं तो अनुमान के मुताबिक करीब 15-20 हजार वोट जो अन्य(जनसुराज शामिल) को मिल जाते हैं तो 1,66,092 में से 15 हजार ही वोट निकाल दिया जाए तो 1,51,092 वोट में ही भाजपा और कांग्रेस के हैं। यदि पिछली बार की बात करें तो करीब 51% भाजपा को और करीब 42% वोट कांग्रेस को मिले थे। यदि इस बार जो चर्चा है और जो बात मतदाता कह रहे हैं तो जो बातें परिवर्तन की कही जा रही है तो परिणाम सच में चौकाने वाले होंगे।
