
न्यूज डेस्क: गया के सांसद और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने आज दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर बिहार में एक महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य परियोजना का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में गया में एक नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और बिहार में एक केंद्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना शामिल है।
मांझी ने अपने प्रस्ताव में गया की विशिष्ट चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “गया उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं। यहां उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है, जिससे लोगों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।”
वर्तमान में, बिहार में केवल पटना में एक एम्स है। गया में एक नए एम्स की स्थापना न केवल बिहार, बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के मरीजों को भी लाभान्वित करेगी। मांझी ने इस बात पर जोर दिया कि गया की भौगोलिक स्थिति इसे दोनों राज्यों के लिए एक रणनीतिक स्वास्थ्य केंद्र बनाती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और जल्द ही इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “हम गया और बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रस्ताव की विस्तृत समीक्षा की जाएगी और शीघ्र ही इस पर कार्य शुरू किया जाएगा।”
इस बीच, स्थानीय स्तर पर भी इस प्रस्ताव को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। बिहार राज्य कुष्ठ कल्याण समिति के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार मंडल ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि गया में पहले से ही गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल की लगभग 12 एकड़ और कुष्ठ अस्पताल की 3 एकड़ से अधिक खाली जमीन उपलब्ध है। “इन स्थानों का उपयोग प्रस्तावित संस्थानों के लिए किया जा सकता है, जिससे सरकार को अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी,” डॉ. मंडल ने कहा।
गया के जिलाध्यक्ष नारायण प्रसाद मांझी ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा, “यह प्रस्ताव गया के लोगों, विशेषकर गरीबों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।”
यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो यह गया और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इससे न केवल गंभीर बीमारियों का बेहतर इलाज संभव होगा, बल्कि मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय नागरिकों ने इस प्रस्ताव पर उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है। राम लखन प्रसाद, एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यदि यहां एम्स खुलता है, तो हमें अब पटना या दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत होगी।”
इस प्रकार, गया में एम्स और कैंसर संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव न केवल क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं को बदलने की क्षमता रखता है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण वाहक भी बन सकता है। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार के निर्णय पर टिकी हुई हैं।