देवब्रत मंडल

ज़िला पदाधिकारी ने भूअर्जन कार्यालय पहुचकर उत्तर कोयल जलाशय परियोजना में किये गए जमीन अधिग्रहण की मुआवजा भुगतान की स्थिति का किया निरीक्षण
ज़िला पदाधिकारी शशांक शुभंकर गुरुवार की देर संध्या भूअर्जन कार्यालय पहुंचकर उत्तर कोयल जलाशय परियोजना (North Koel Reservoir Project) में रैयतों के अधिग्रहित किए जाने वाले जमीन का मुआवजा भुगतान के प्रगति का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया है कि चुकी रैयत की संख्या ज्यादा है। सभी रैयतों को उनके बैंक के खाता में मुआवजा की राशि भेजनी है। सभी संबंधित अंचल अधिकारी द्वारा उक्त परियोजना के एलाइनमेंट में आने वाले अधिकांश रैयतों का सूची/ विवरण भूअर्जन कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई है। भूअर्जन कार्यालय द्वारा उन सभी संबंधित रैयत का पे- आईडी बनाना है ताकि उनके बैंक खाते में राशि जा सके। जिला पदाधिकारी ने भू अर्जन पदाधिकारी रविंद्र राम को निर्देश दिया है कि शिक्षा विभाग एवं नजदीक के प्रखंडों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर को कल जिला परिषद सभागार में बुलाकर उनके माध्यम से तेजी से रैयतों का पे-आईडी बनवाना सुनिश्चित करें ताकि भुगतान तेजी से हो सके।
बताया गया कि उत्तर कोयल जलाशय परियोजना फेज-1 के तहत कुल 206.153 एकड़ रकवा है। जिसमे मुख्य रूप से 3 अंचल के क्षेत्र पड़ता है। इस परियोजना को लेकर जिला भूअर्जन कार्यालय में दिन रात काम हो रहा है। कर्मियों ने बताया कि देर रात तक इस परियोजना को लेकर कार्य हो रहे हैं। अवकाश(साप्ताहिक) भी नहीं मिल पा रहा है। कुछ कर्मियों को तो ठंड की चपेट में आ गए हैं लेकिन कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। कर्मचारियों ने नाम सामने नहीं लाने की शर्त पर बताया कि अन्य और किसी परियोजना की फ़ाइल छूने तक का मौका नहीं मिल रहा है। कई अतिरिक्त अमीनों को भी इस परियोजना के लिए तैनाती की गई है। अंचल के कर्मचारियों एवं अधियाची विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी दिन रात काम करना पड़ रहा है। शिविर आयोजित कर रैयतों से कागजात लिए जा रहे हैं।
उत्तर कोयल जलाशय परियोजना फेज-1 के तहत कुल 206.153 एकड़ रकवा है।
गुरारू अंचल में 190 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 20 मौजा है और 400 से अधिक संख्या में रैयत हैं।
गुरुआ अंचल में 46.50 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 12 मौजा है और 450 की संख्या में रैयत हैं।
कोच अंचल में 34.16 एकड़ का क्षेत्र पड़ता है। इसमें 5 मौजा है और 225 रैयत की संख्या है।
डीएम ने बताया कि यह परियोजना झारखंड और बिहार के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर-राज्यीय सिंचाई और जल संसाधन परियोजना है, जो मुख्य रूप से बिहार के गया और औरंगाबाद जिलों में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह परियोजना के पूर्ण होने से गया ज़िले के लगभग 25 से 30 हजार हेक्टेयर से अधिक सिचाई क्षमता में और इजाफा होगा। इस परियोजना में मुख्य रूप से गया ज़िले के 5 अंचल क्षेत्र यथा आमस, गुरुआ, गुरारू, कोच एवं परैया में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।
