देवब्रत मंडल

ऑटो रिक्शा चालकों ने ठीकेदार की मनमानी के खिलाफ एकजुट होकर मामले को उच्च अधिकारियों तक ले जाने का निर्णय लिया है। गया जिला ऑटो चालक बेरोजगार संघ ने जबरन अधिक वसूली पर कड़ी आपत्ति जताई है। संघ के नेता एहतेशाम ने कहा है कि यदि चालकों के साथ न्याय नहीं होता है तो हड़ताल पर भी चालक जा सकते हैं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी रेल प्रशासन की होगी।
अचानक ₹50/- वसूली के फरमान से आक्रोश, कहा-गुंडई है
गुरुवार को गया जंक्शन के डेल्हा साइड के ऑटो स्टैंड पर चालकों में आक्रोश फैल गया, जब इन चालकों से ₹50/- की वसूली किए जाने का फरमान सुना। चालकों का कहना है एक तो पहले से ही निर्धारित दर प्रति ट्रिप ₹ 10/- की जगह ₹ 30/- लिया जा रहा था। इसके बाद इसमें दस रुपये की वृद्धि कर दी गई। तब तक चालक सह ले रहे थे लेकिन अचानक बगैर किसी सूचना के ₹ 50/- की मांग की जाने लगी, जो असहनीय ही नहीं बल्कि गुंडई है।
चालकों ने बताया- एक दिन में ₹120/- देते हैं ठीकेदारी
चालकों ने बताया कि एक दिन में ₹ 110/- एक ऑटो रिक्शा व ई रिक्शा चालक इस स्टैंड पर तैनात कर्मचारियों को देते हैं। ऊपर से ऑटो रिक्शा चालक बेरोजगार संघ के नाम पर ₹ 10/- वसूली की जाती है।
करीब 400 ऑटो व ई-रिक्शा आते जाते हैं यहां
इन चालकों ने बताया कि इस स्टैंड पर प्रतिदिन करीब चार सौ के आसपास ऑटो रिक्शा लेकर आते हैं और जाते हैं। जो इस मनमानी के खिलाफ एकजुट होकर अपने हक़ के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। यदि इसी तरह की मनमानी चलती रहती है तो यहां से एक भी ऑटो रिक्शा को न जाने दिया जाएगा और न यहां पर आने दिया जाएगा। जिससे रेलयात्रियों की समस्या बढ़ सकती है।

डीडीयू से पूर्व मध्य रेल मुख्यालय तक रखेंगे बात
इस स्टैंड पर गया जिला ऑटो रिक्शा चालक बेरोजगार संघ का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को पहुंचा। इसमें रहे एक नेता मो. एहतेशाम ने बताया कि ऑटो रिक्शा चालकों के साथ रेलवे के ठीकेदार मनमानी करने पर उतारू हैं। उन्होंने कहा कि यदि चालकों की बात नहीं मानी जाती है डीडीयू रेल मंडल मुख्यालय से लेकर पूर्व मध्य रेल मुख्यालय तक बातों को लेकर जाएंगे।
रसीद पर न तो संवेदक और ना ही राशि अंकित
इन चालकों से जितनी राशि वसूली जा रही है। उसके एवज में इन्हें दिए जाने वाली रसीद पर न तो वसूली गई राशि का जिक्र किया जा रहा है और न तो संवेदक का ही नाम रसीद पर अंकित किया गया है। जिससे भ्रष्टाचार की बू आ रही है। जबकि नियमानुसार रसीद पर समय, तिथि, शुल्क का विवरण एवं संवेदक के नाम का जिक्र किया जाना है।
स्टैंड पर रेट चार्ट भी नहीं लगाया गया
रेलवे स्टेशन के डेल्हा साइड में ऑटो स्टैंड के लिए निर्धारित स्थान पर कहीं पर भी निर्धारित शुल्क का चार्ट डिस्प्ले नहीं किया गया है। जबकि नियम है कि रेट चार्ट सार्वजनिक किया जाना है। इससे साफ स्पष्ट है कि यहां ठीकेदार(संवेदक) कानून और नियमों को भी नहीं मानते हैं।

इन चालकों को कोई देखने के लिए भी नहीं आते
इन चालकों से जब पूछा गया कि यदि आप सभी के साथ इस तरह की मनमानी हो रही है तो स्थानीय रेल प्रशासन देखने सुनने नहीं आते हैं? इस सवाल के जावाब में चालकों ने जो कहा, उसे लिखना उचित नहीं, क्योंकि इन बातों का प्रमाण नहीं है लेकिन इतना कहा कि कोई देखने के लिए स्टैंड पर नहीं आते हैं। यहां(स्टैंड) से बसें भी खुलती है। जिसके कारण ऑटो रिक्शा चालकों को पैसेंजर कम मिलते हैं और ऊपर से अधिक शुल्क के लिए दवाब दिया जाता है।
आरपीएफ एवं वाणिज्य पर्यवेक्षक की बनती है जिम्मेदारी
एक रेलकर्मी ने नाम न सामने लाने की शर्त पर बताया कि रेलवे सुरक्षा बल एवं वाणिज्य पर्यवेक्षक(सामान्य) की जिम्मेदारी बनती है कि इन सभी चीजों को देखेंगे, लेकिन ये सभी चुप्पी साध रखे हैं।
