बिहार में सियासी घटनाक्रम कुछ यूं बदलने लगा, जदयू को एक बड़ा झटका, भाजपा को शिकस्त देने की तैयारी

Deepak Kumar
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देवब्रत मंडल

image editor output image 1564275551 17109488059086202958009489585895 बिहार में सियासी घटनाक्रम कुछ यूं बदलने लगा, जदयू को एक बड़ा झटका, भाजपा को शिकस्त देने की तैयारी
File photo

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जहां बिहार में नामांकन का दौर शुरू हो चुका है तो पार्टियों के नेताओं की आकांक्षाएं उपेक्षा और अपेक्षा अब टिकट पर जाकर टिकने लगी है। एक ओर जाप के सर्वेसर्वा पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में ही विलय कर दिया है तो कई लोग पाला बदलने के लिए तैयार हैं। ऐसे में गया जिला के जदयू अध्यक्ष पूर्व विधायक अभय कुशवाहा का इस्तीफा देना और राजद के साथ फिर हाथ मिला लेने की बात जदयू के लिए गले की हड्डी साबित हो सकती है तो इंडी गठबंधन के लिए फायदेमंद।  जदयू जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के साथ ही कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं देने का भी आरोप लगा रहे हैं। यह बात खुद जदयू जिलाध्यक्ष सह टिकारी के पूर्व विधायक अभय कुशवाहा कह रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि पार्टी में कार्यकताओं को मान-सम्मान नहीं दिया जाता है। इनका आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के लिए वे कई बार अर्जी लगाए लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने कहा कि ऐसे में पार्टी में रहना उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि जहां से (जिस दल के साथ) राजनीति की शुरुआत की थी, फिर वापस वहीं(राजद) में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही राजद में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने राजद के टिकट पर औरंगाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यदि इंडी गठबंधन औरंगाबाद सीट से उन्हें उम्मीदवार घोषित करता है तो वे चुनाव जरूर लड़ेंगे और एनडीए के उम्मीदवार को पराजित करेंगे। बता दें कि औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र से एनडीए ने भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है।

पहली बार जदयू के टिकट पर विधायक बने थे

अभय कुशवाहा गया जिला जदयू अध्यक्ष थे। जिस वक्त राजद से नाता तोड़ दिए थे तो टिकारी विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बन गए। इन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में हम(से.) के उम्मीदवार पूर्व मंत्री डॉ. अनिल कुमार को मात देकर  जीत दर्ज कर जदयू का कद ऊंचा किया था।

अपने राजनीतिक ‘गुरु’ के सामने ही चुनाव मैदान में खड़े हो गए थे

राजनीतिक से जुड़े लोग बताते हैं कि 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में तो वे सीधे अपने राजनीतिक ‘गुरू’ डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव को ही अपने तरकश के ‘तीर’ से घायल करने उनके सामने ‘राजनीति के कुरुक्षेत्र के मैदान’ में सामने जा खड़े हो गए थे लेकिन ‘गुरूजी’ के ‘लालटेन’ की रोशनी के आगे तीर नहीं टिक पाया और चुनाव के मैदान में अभय कुशवाहा को हार का मुंह देखना पड़ा। राजद के डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने इन्हें मात दे दी।

2010 में राजद छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया था

मालूम हो कि टिकारी विस के पूर्व विधायक सह गया जिला जदयू जिलाध्यक्ष अभय कुशवाहा 2010 में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र आयोजित मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक सभा में राजद के युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए जदयू का दामन थामा था। 2020 में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से जदयू से दुबारा चुनाव लड़े थे लेकिन जीत का स्वाद चख नहीं सके।

गया शहरी विस क्षेत्र से भी भाग्य आजमा चुके थे

पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने अपना राजनैतिक सफर साल 2000 से शुरू की थी। साल 2000 में गया शहरी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाया था लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। इसके बाद 2005 में गया जिले के नगर प्रखंड के कुजापी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़े और  निर्वाचित हुए। जिस वक्त मुखिया चुने गए थे तो उस वक्त युवा राजद के नेता थे।

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