फिर से सज गई एक नंबर रेलवे गुमटी के पास सब्जी व फल की मंडी, भेजी गई रिपोर्ट झूठ या कार्यवाही दिखावा

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

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पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल के गया जंक्शन के पदाधिकारी की मिलीभगत से डेल्हा साइड एक नंबर रेल गुमटी(बंद) के पास फिर से फल एवं सब्जियों की मंडी सज गई है। कुछ दिन पहले स्थानीय रेल प्रशासन ने यहां से करीब चार दर्जन अस्थायी दुकानों को हटाने के साथ एक संयुक्त रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी थी लेकिन रिपोर्ट झूठ साबित हो रहा है।  डीडीयू मंडल के गया जंक्शन पर अवैध रूप से दुकानें संचालन के पीछे स्थानीय रेल प्रशासन की मिलीभगत साफ दृष्टिगोचर होती है। यदि ऐसा नहीं है तो 06 जून को यहां से दुकानों को हटा दिए जाने की रिपोर्ट के बाद फिर दुकानें कैसे सज गई?

Magadhlive की टीम पहुंची तो सच कुछ और ही सामने आया

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बुधवार को magadhlive की टीम एक नंबर गुमटी के पास जब पहुंची तो देखा कि एक नहीं कई दुकानें लगी हुई है। अधिकतर सब्जी एवं फल की दुकानों के अलावा चाय, पान, नाश्ता करने की कई दुकानें बेरोकटोक चल रही है।

अघोषित दिया जाता है वसूली का ठेका

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस स्थान पर दुकानें लगाने के लिए अघोषित रूप से एक व्यक्ति को ठेका दिया जाता है जो इन दुकानों के दुकानदारों से एक निर्धारित राशि वसूल करता है। यह राशि महीने में 25-30 हजार रुपए बताई गई। जो पूरी तरह से गैरकानूनी तरीके से गोपनीय तरीके से किया जाता है।

आरपीएफ को अतिक्रमण रोकने की है पूरी जिम्मेदारी

रेल की भूमि पर अतिक्रमण हटाने या अतिक्रमण होने से रोकने की पूर्ण जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल के पोस्ट प्रभारी को है। रेलवे अधिनियमों के तहत कार्यवाही की जिम्मेदारी भी इन्हें ही दी गई है लेकिन आखिर क्या वजह है कि दुकानें हटा दिए जाने के बाद फिर दुकानें लग जाती है। जबकि रेलवे के आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि आरपीएफ, रेल प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में किसी तरह की दिक्कतें आती है तो वे जीआरपी/राज्य पुलिस से भी सहयोग ले सकती है।

सहायक कमांडेंट भी हैं यहां, पर इनकी आंखों से ‘ओझल’

गया जंक्शन पर आरपीएफ पोस्ट के कार्यों और उनके दायित्वों की निगरानी रखने के लिए यहां सहायक कमांडेंट की पदस्थापना की गई है लेकिन इनकी नजरों से भी अबतक अवैध दुकानें और अतिक्रमण ‘ओझल’ क्यों है?

6 जून को ही हुई थी अतिक्रमण हटाने की संयुक्त कार्यवाही

इसी महीने की 6 तारीख को गया जंक्शन के आरपीएफ पोस्ट प्रभारी निरीक्षक बनारसी यादव, वाणिज्य पर्यवेक्षक(सामान्य) शैलेश कुमार, यातायात निरीक्षक बी.बी. पांडेय, वरीय अनुभाग अभियंता(कार्य), अवर अभियंता(कार्य) स्टेशन विकास, गया आदि ने संयुक्त रूप से 46 दुकानों को हटाने की कार्रवाई करते हुए एक रिपोर्ट मंडल मुख्यालय भेजा था। जिसमें, मछली, मुर्गा, मीट, फल, सब्जी, चाट आदि की दुकानें हटाने की कार्रवाई हुई थी लेकिन अब फिर उसी स्थिति में यहां दुकानें सज गई है।

सवाल, या तो रिपोर्ट गलत या फिर कार्यवाही झूठी

वर्तमान में जितनी भी दुकानें मजे से चल रही है, उसकी संख्या 40 से ऊपर ही होगी। आखिर 06 जून की कार्यवाही झूठी थी या रिपोर्ट गलत भेजी गई थी, ये तो उच्चस्तरीय जांच के बाद ही पता चल सकता है कि आखिर इस खेल में किसके किसके हाथ “मैले’ हो रहे हैं।

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