देवब्रत मंडल

गया जंक्शन पर रेलवे द्वारा संचालित खान पान के स्टॉल पर बड़ा ही गड़बड़झाला है। एक ओर जहां रेल नीर खुलेआम 15 रुपए में बेचे जा रहे हैं तो वहीं केक के पैकेज पर अंकित मूल्य को मिटा कर अधिक कीमत यात्रियों से वसूले जाते हैं। इसकी पूरी कहानी जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे कि कैसे ये सभी यात्रियों को लूटने में तनिक भी संकोच नहीं करते हैं।
मामला इसी महीने के 10 तारीख की है
मामला 10 दिसंबर 2025 की है। इस दिन गया में बिहार पुलिस में सिपाही(चालक) पद पर भर्ती की परीक्षा आयोजित हुई थी। इस दिन गया जंक्शन पर काफी भीड़ थी। हजारों अभ्यर्थी विभिन्न जिले से गया आए थे और परीक्षा संपन्न होने के बाद ट्रेन से अपने अपने घरों को जाने के लिए प्लेटफॉर्म पर थे।
अंकित मूल्य देख कर यात्री का दिमाग हिल गया
एक यात्री रवि रंजन महतो ने गया जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 05 के एक स्टॉल से खाने के लिए एक केक खरीदा। रंजन महतो से केक की कीमत 50 रुपये की मांग की गई। तब रंजन महतो ने इसका विरोध किया। कुछ देर तक इनके और स्टॉल के कर्मचारी के बीच नोकझोंक हुई। जब केक के पैकेट पर अंकित मूल्य दिखाने को कहा तो इनका दिमाग हिल गया।

आगे जो हुआ, ये हैरान करने वाली थी
पीड़ित यात्री रंजन ने कहा कि पैकेट पर अंकित वास्तविक कीमत को कुछ इस तरह मिटार कर 50/- रुपए कर दिया था। जिसे आप इस खबर के साथ लगी दो तस्वीरों को देखेंगे तो पता चल जाएगा।
विवादास्पद केक और वास्तविक केक को जब्त किया गया
इस हंगामे और विवाद की सूचना गया जंक्शन के जिम्मेदार रेलकर्मियों तक पहुंची। एक टीम इस स्टॉल पर पहुंची तो पाया कि एक केक की वास्तविक कीमत 35.50/- है लेकिन दुकानदार ने आगे के 35 मुद्रित को मिटार दिया था और शेष 50 पैसे को ही बता दिया कि इसकी कीमत 50 रुपए है। इसके बाद दोनों केक को जब्त किया गया।
यात्री ने लिखित रूप में दर्ज कराई शिकायत
रेल यात्री रवि रंजन महतो ने बताया कि वे प्लस टू जिला स्कूल, गया के केंद्र पर परीक्षा देने के बाद ट्रेन संख्या 22358 गया-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से रांची से जाने वाले थे। प्लेटफॉर्म पर एक स्टॉल से केक खरीदा था, जिसकी कीमत 50 रुपये दुकानदार मांग रहा था। जबकि केक के पैकेज पर अंकित वास्तविक मूल्य को मैन्युप्लेट कर दिया गया था। जिसकी उन्होंने लिखित शिकायत गया जंक्शन पर संबंधित कार्यालय में की है।
…और अंत में
बड़ा सवाल है कि इस तरह की अनियमितता को देखने के लिए यहां वाणिज्य विभाग के पर्यवेक्षक स्तर के कर्मचारी की प्रतिनियुक्ती की गई है। बराबर डीडीयू और पूर्व मध्य रेल मुख्यालय से वाणिज्य विभाग के अशिकारियों का निरीक्षण हुआ करते हैं। यात्रियों से अधिक कीमत वसूली करने वाले लोगों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश जारी किया जा रहा है तो फिर आखिर इतनी हिम्मत और दिलेरी के साथ गड़बड़ी की जा रही है तो एक प्रश्न चिन्ह लग रहा है कि आखिर कैसे ये सब हो रहा है?
