“मंथन” में अटकी है गया जी शहरी विस के प्रत्याशियों की सांसें, प्रत्याशी बदले जाने की हो रही चर्चा

Deobarat Mandal
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देवब्रत मंडल

वैसे तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई है। घोषणा होने में वक्त लगेगा। बिहार में एनडीए और महागठबंधन के घटक दलों के शीर्ष नेताओं का चुनाव को लेकर मंथन जारी है। कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की प्रक्रिया चल रही है। फीडबैक के बाद कौन किस जगह से चुनाव लड़ेगा, ये शीर्ष नेताओं द्वारा तय किया जाएगा।

शीर्ष नेतृत्व से सभी संभावित उम्मीदवारों से अपेक्षित आशा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में कर दिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। लगभग सभी सरकारी महकमे से जुड़े लोगों में ऐसी चर्चा चल रही है। इधर, बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बड़े घटक दलों द्वारा उम्मीदवार तय करने के लिए विचार विमर्श किया जा रहा है। चुनाव लड़ने वाले सभी दलों के संभावित उम्मीदवार अपने शीर्ष नेतृत्व से काफी उम्मीदें रख रहे हैं और अपेक्षित आशा भी रखे हुए हैं कि उन्हें ही टिकट मिल जाएगा।

गया जी शहरी विधानसभा क्षेत्र में बदलाव की हो रही बात

कांग्रेस पार्टी द्वारा चल रहे मंथन में गया जी शहरी विधानसभा सीट से उम्मीदवार तय करने की बात हो रही है। इस दल के एक बड़े नेता का कहना है कि पहले तो यह तय होना बाकी है कि सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा। क्योंकि महागठबंधन के घटक दलों कांग्रेस के अलावा राजद, माकपा, भाकपा जैसे दल हैं। वैसे इनका कहना है कि गया शहरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस लगातार पराजित हो रही है। ऐसे में यहां प्रत्याशी बदले जाने की भी चर्चा हो रही है। किसी महिला उम्मीदवार को इस बार पेश करने पर भी चर्चा चल रही है। लेकिन गत चुनाव के नतीजों का भी आंकलन किया जा रहा है। यहां जातीय समीकरण को देखते हुए भी उम्मीदवार तय करने की बात हो रही है।

भाजपा भी असमंजस की स्थिति में है

गया जी शहरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र से मंत्री डॉ. प्रेम कुमार लगातार चुनाव जीतते हुए आ रहे हैं। यहां इस पार्टी के संगठन में एकचीज देखने को मिलता है कि चुनाव के समय हमेशा से दो धड़े में पार्टी के लोग दिखाई देते हैं, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का फैसला अंतिम होता है, पार्टी जिसे टिकट देने की यानी उम्मीदवारी की घोषणा कर देती है दोनों धड़ा एकजुट होकर पार्टी की जीत के लिए सारे गिले शिकवे भुला देते हैं। भाजपा के लोग हमेशा जीत के मंत्र को आत्मसात कर चुनाव में काम करते हैं। इस बीच इस बार यहां से एक युवा चेहरे को उम्मीदवार बनाने की भी चर्चा चल रही है लेकिन पार्टी क्या फैसला लेती है इसका सभी को इंतजार रहेगा।

…और अंत में

दोनों पार्टी(गठबंधन) कोई बड़ा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं दिखाई देती है। भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपने अपने परंपरागत उम्मीदवार पर ही अधिक भरोसा है। घटक दलों एवं इनके समर्थकों में भले ही नाराजगी हो लेकिन दोनों गठबंधन कोई ऐसा रिस्क उठाना उचित नहीं मानकर चल रहे हैं।

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