देवब्रत मंडल

गया रेल थाना की पुलिस का गोल्ड से गहरा प्रेम रहा है। हालिया घटना ने एक बार फिर उन पुरानी घटना की याद ताजा कर दी है। उस वक्त गया रेल थाना के एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया था और जब निलंबन मुक्त हुए थे तो उन्हें पटना रेल जिला से जमालपुर रेल जिला में ट्रांसफर कर दिया था।
रेल एसएसपी ने फोन का जवाब नहीं दिए
21 नवंबर 2025 की घटना में गया रेल थानाध्यक्ष ने अपने ही थाने के चार पुलिसकर्मियों को एक किलोग्राम सोना लूट लिए जाने के मामले में आरोपित करते हुए बीएनएस की धारा 309(4) के तहत कांड दर्ज किया है। घटना 22307 अप हावड़ा-बीकानेर जोधपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में हुई है। इस मामले में रेल पुलिस के वरीय अधिकारियों द्वारा उच्चस्तरीय जांच की जा रही है। अबतक की जांच में क्या तथ्य सामने आए हैं, इसके बारे में मंगलवार को रेल एसएसपी डॉ. इनामुल हक़ से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल को खाली जाने दिए।
बीस साल पहले भी सोने का मामला सामने आया था
करीब 20 साल पहले 2003-04 की बात है। तत्कालीन गया रेल थाना के एसएचओ निगम कुमार वर्मा हुआ करते थे। उस वक्त एक महिला यात्री के बयान पर सोने के लाखों रुपए के जेवरात का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष श्री वर्मा ने इस मामले में एक अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया था। चोरित जेवरात की बरामदगी कर ली गई थी।
वादिनी ने बरामद जेवरातों को रिलीज करने की याचिका दायर की थी
पीड़िता ने गया रेलवे कोर्ट में बरामद जेवरात को रिलीज करवाने के लिए मीणा सिन्हा अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में याचिका दायर की। कोर्ट का आदेश हुआ कि बरामद जेवरातों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। लेकिन इसमें थाना के स्तर से देरी की जा रही थी तो अधिवक्ता मीणा सिन्हा ने तत्कालीन रेल पुलिस अधीक्षक से पत्राचार की थीं। उस वक्त मालखाने के प्रभार में सहायक अवर निरीक्षक विन्देश्वरी सिंह थे। तब न्यायालय में जेवरातों को प्रस्तुत किया गया।
जांच में सभी जेवरात नकली(पीतल के बने)निकले थे
जब न्यायालय में बरामद जेवरात को प्रस्तुत किया गया तो पीड़िता ने न्यायालय से निवेदन किया कि उनके जेवरातों की जांच के लिए किसी अधिकृत स्वर्ण व्यवसायी(पारखी) से इसकी जांच कराई जाए। न्याययिक दंडाधिकारी के आदेश पर स्वर्णाभूषणों की (कसौटी पर) जांच हुई तो न्यायालय में प्रस्तुत सारे जेवरात पीतल के निकले। इसके बाद थानाध्यक्ष श्री वर्मा को न्यायालय ने फटकार लगाते हुए वादिनी की ओरिजिनल स्वर्णाभूषणों को लाकर देने का आदेश दिया।
उस वक्त की मीडिया में छाया गया था यह मुद्दा
उस वक्त यह घटना मीडिया में सुर्खियों में छा गया कि थानेदार ने असली जेवरात चुरा लिए और हूबहू नकली जेवरात बाजार से बनवाकर मालखाने में रखवा दिया। उस वक्त के न्यूज़ चैनल सहारा समय, हिंदी दैनिक अखबार दैनिक जागरण, आज और हिंदुस्तान में स्वर्णाभूषणों के बदल दिए जाने की घटना का बेहतर कवरेज दिया था। गया से लेकर पटना तक इस घटना को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था।
तत्कालीन रेल एसपी ने थाना प्रभारी को किया था निलंबित
अंततः तत्कालीन रेल एसपी ने थानाध्यक्ष निगम कुमार वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। जब निलंबन से मुक्त हुए तो श्री वर्मा को पटना रेल पुलिस जिला बल से जमालपुर रेल पुलिस जिला के किउल रेल पुलिस अनुमंडल में ट्रांसफर कर दिया गया था। श्री वर्मा को राजगीर रेल थाना प्रभारी बनाया गया था।
एक बार फिर ताज़ी घटना सुर्खियों में
अब जब एक बार फिर जब गया रेल थाना के पुलिसकर्मियों पर एक किलो सोना धनञ्जय शाश्वत नामक यात्री से छीन लिए जाने और इनके साथ मारपीट करने का आरोप लगा है तो मीडिया में यह खबर एक बार फिर से सुर्खियों में है। आम जनमानस में जो विशेषकर रेलवे से जुड़े हुए हैं, उन्हें 20 साल पहले की घटना याद ताजी कर दी है। अब यही कह रहे हैं कि गया रेल थाना का “सोने से गहरा प्रेम” है।
दो माह पहले ही ढाई करोड़ का पकड़ा गया है सोना
हालांकि इसी साल अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह में गया रेल थाना पुलिस ने करीब ढाई करोड़ रुपए के सोने के कई बिस्किट(गोल्ड बार) के साथ मंटू नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। यह सोना कालका मेल ट्रेन से लाई जा रही थी। इस मामले की भी उच्चस्तरीय जांच हुई थी। वर्तमान रेल एसएसपी ने इस मामले की सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स के अधिकारियों के साथ गहराई से जांच की थी। यह उपलब्धि भी मीडिया में सुर्खियों में रहा था।
