देवब्रत मंडल

गया जी में सोमवार को मेघ गर्जन के साथ हुई बारिश के दौरान गया शहर के उत्तरी हिस्से रामशिला मोड़ पर स्थित एक मंदिर का फर्श (सतह) टूट गया। सतह(फर्श) पर ही शिवलिंग स्थापित था। जो टूटे सतह(फर्श) के साथ इस मंदिर के नीचे तालाब में जा गिरा। इस घटना की जानकारी जैसे ही लोगों तक पहुंची, यहां भीड़ उमड़ पड़ी। लोग शिवलिंग की तलाश शुरू कर दिए हैं। खबर लिखे जाने तक शिवलिंग नहीं मिला है। आस्थावान इसे प्राकृतिक आपदा और भगवान की लीला मान कर चल रहे हैं।
मेघ गर्जन और बारिश के बीच हुई अप्रत्याशित घटना
स्थानीय लोगों ने बताया कि अचानक मेघ गर्जन हुआ। तेज बारिश होने लगी। लोग अपने घरों और आसपास के दुकानों में शरण ले चुके थे। जब बारिश रूकी तो एक श्रद्धालु शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को प्रणाम करने पहुंचे तो देखा कि मंदिर का सतह(फर्श) टूटा हुआ है और शिवलिंग नहीं है। इसकी जानकारी आसपास के लोगों तक पहुंची तो लोगों की भीड़ लग गई।
तालाब पर बना काफी पुराना है यह मंदिर

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह गौरैया स्थान है। जो काफी पुराना है। इस स्थान पर पुराना तालाब हुआ करता था। जो कालांतर में विलुप्त होने लगा है। यही पर स्थानीय लोगों के सहयोग से एक शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर निर्माण के लिए तालाब के हिस्से पर पिलर दिया गया। इसके बाद शिवलिंग की स्थापना की गई थी। आसपास के लोगों के अलावा दूर दराज के लोग भी श्रद्धा भाव से गौरैया स्थान मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। पास बने शिव मंदिर में नित्य दिन पूजा पाठ भी लोग करने आते हैं।
कुछ लोग इसे ईश्वरीय कोप बता रहे हैं, तो कोई भगवान की लीला
यहां लगी भीड़ में रहे लोग इस घटना को किसी ईश्वरीय सत्ता का प्रकोप बता रहे थे तो कई लोग भगवान की लीला कह रहे थे। लोग कहते सुने गए कि यह मंदिर काफी पुराना है और लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है।
शिवलिंग ढूंढ कर निकालने की कवायद
अब जबकि शिवलिंग तालाब के अंदर जा गिरा है तो इसे ढूंढ कर निकालने की कवायद में लोग जुट गए हैं। यहां मौजूद लोगों द्वारा जितनी मुंह उतनी बातें की जाने लगी है।
शुक्र रहा कि मंदिर की सतह धंसने वक्त कोई श्रद्धालु नहीं थे
स्थानीय लोगों ने बताया जिस वक्त बारिश हो रही थी। मेघ गर्जन हो रहा था। उस वक्त इस शिव मंदिर के गर्भ गृह में कोई श्रद्धालु नहीं थे। यदि कोई श्रद्धालु यहां होते तो वे भी तालाब में गिर जाते। हालांकि तालाब कितना गहरा है। इसके बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है लेकिन आस्था और आपदा के बीच लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं।