गया के सूर्य मंदिर घाट पर छठ महापर्व: प्रशासनिक उपेक्षा के बावजूद स्थानीय लोगों का बड़ा योगदान

Deepak Kumar
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देवब्रत मंडल

img 20241107 wa00713431104543913252249 गया के सूर्य मंदिर घाट पर छठ महापर्व: प्रशासनिक उपेक्षा के बावजूद स्थानीय लोगों का बड़ा योगदान

गया नगर निगम के अंतर्गत वार्ड नंबर 05 स्थित सूर्य मंदिर, गोविंदपुर में छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ती है। निगम क्षेत्र ही नहीं, बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी बड़ी संख्या में व्रती यहां निर्मित तालाब में सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित करने आते हैं। छठ पर्व के इस पावन मौके पर यहां की व्यवस्था में निगम और प्रशासन का अपेक्षित सहयोग तो नहीं मिलता, लेकिन स्थानीय लोग पूरे समर्पण के साथ व्यवस्था को संभालने का जिम्मा उठाते हैं। चाहे पार्किंग की व्यवस्था हो या घाट की सफाई—हर मोर्चे पर स्थानीय लोग ही आगे बढ़कर योगदान देते हैं।
रामशिला-प्रेतशिला मार्ग पर स्थित यह घाट प्रशासन की नजरों से ओझल रहता है। नगर निगम की ओर से यहां सफाई व्यवस्था के लिए सीमित संख्या में कर्मचारी लगाए जाते हैं, जबकि वास्तविक आवश्यकता कहीं अधिक है। यहां तक कि वार्ड नंबर 04 के सफाईकर्मियों को भी विशेषतः सूर्य मंदिर घाट की सफाई में लगाना पड़ता है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी अवलोकन के लिए तो आते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। न ही नगर निगम के वरिष्ठ पदाधिकारियों, मेयर, या डिप्टी मेयर का यहां आना होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घाट को प्रशासनिक रूप से उपेक्षित माना जा सकता है।

प्रशासनिक अनदेखी पर उठ रहे सवाल

img 20241107 wa00707519332803538430668 गया के सूर्य मंदिर घाट पर छठ महापर्व: प्रशासनिक उपेक्षा के बावजूद स्थानीय लोगों का बड़ा योगदान

रामशिला-प्रेतशिला मार्ग पर स्थित यह घाट प्रशासन की नजरों से ओझल रहता है। नगर निगम की ओर से यहां सफाई व्यवस्था के लिए सीमित संख्या में कर्मचारी लगाए जाते हैं, जबकि वास्तविक आवश्यकता कहीं अधिक है। यहां तक कि वार्ड नंबर 04 के सफाईकर्मियों को भी विशेषतः सूर्य मंदिर घाट की सफाई में लगाना पड़ता है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी अवलोकन के लिए तो आते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। न ही नगर निगम के वरिष्ठ पदाधिकारियों, मेयर, या डिप्टी मेयर का यहां आना होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घाट को प्रशासनिक रूप से उपेक्षित माना जा सकता है।

स्थानीय लोगों का सहयोग बना उम्मीद की किरण

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प्रशासन की अनदेखी के बावजूद यहां के लोग अपनी सामर्थ्य से अधिक सहयोग करते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थानीय लोग स्वयं व्यवस्थाओं को संभालते हैं। उनकी मंशा है कि नगर निगम और जिला प्रशासन का थोड़ा सहयोग मिल जाए, तो सूर्य मंदिर घाट को गया का सबसे विकसित और सुंदर छठ घाट बनाया जा सकता है।

प्रशासनिक सहयोग की आवश्यकता

वर्ष में दो बार मनाए जाने वाले छठ पर्व के दौरान यहां दूरदराज से श्रद्धालुओं का आगमन होता है, लेकिन प्रशासनिक सुविधाओं की कमी खलती है। पर्याप्त पुलिस सुरक्षा और सुविधाएं यहां उपलब्ध नहीं कराई जातीं। यदि नगर निगम और प्रशासन इस घाट पर उचित ध्यान दें और बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करें, तो सूर्य मंदिर घाट को गया का एक आदर्श छठ घाट के रूप में विकसित किया जा सकता है।

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