गया रेलवे इंस्टिट्यूट में 103 वर्षों से अनवरत बंगला पद्धति से पूजा का आयोजन

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

image editor output image 1683698990 17589872441197697751007782852217 गया रेलवे इंस्टिट्यूट में 103 वर्षों से अनवरत बंगला पद्धति से पूजा का आयोजन
स्थापित मां की मूर्ति की पूजा करती श्रद्धालु

गया, (बिहार): गया रेलवे इंस्टिट्यूट, जिसे स्थानीय रूप से नाच कोठी (चंद्रशेखर आजाद हॉल) के नाम से भी जाना जाता है, में एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा बंगला पद्धति से मनाई जाती है और इसका इतिहास 1923 से जुड़ा है, जब यह पहली बार शुरू की गई थी। अब यह पूजा अपने 103 वें वर्ष में प्रवेश कर रही है और इसे बड़े हर्षोल्लास और भव्य तरीके से मनाया जा रहा है।

ऐतिहासिक महत्व और परंपरा

इस पूजा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी, जब गया रेलवे स्टेशन का महत्व बढ़ रहा था और रेलवे कर्मचारियों ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को जीवंत रखने के लिए इस पूजा की शुरुआत की। बंगला पद्धति से मनाई जाने वाली यह पूजा न केवल रेलवे कर्मचारियों के लिए बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है।

पूजा की तैयारी और आयोजन

पूजा के लिए माता की साज-सज्जा और पूजन सामग्री कोलकाता से मंगाई जाती है, जो इसकी विशिष्टता और परंपरा को दर्शाती है। रेलवे कर्मियों की तीसरी पीढ़ी के साथ-साथ स्थानीय लोगों का भी पूरा सहयोग इस पूजा के आयोजन में रहता है।

नेतृत्व और जिम्मेदारी

पूजा समिति का नेतृत्व पिछले 18 वर्षों से प्रमोद कुमार कर रहे थे, जो अब रेल सेवा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सीआई टी (प्रशासन) आरआर सिन्हा को सौंपी है। प्रमोद कुमार अब सलाहकार की भूमिका में रहेंगे और पूजा के आय-व्यय का ऑडिट एडवोकेट विजय सिन्हा करेंगे। अन्य सहयोगी सदस्यों में शंकर तिवारी, राकेश शर्मा, भारती यादव, गुड्डू यादव और अमर रजक शामिल हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

यह पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बनाए रखती है। यह रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के बीच एकता और सामंजस्य का प्रतीक है। 103 वर्षों से अनवरत चल रही यह पूजा गया की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस प्रकार कहा जाता है कि गया रेलवे इंस्टिट्यूट में मनाई जाने वाली यह पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो अपनी ऐतिहासिक परंपरा और सामुदायिक एकता के लिए जाना जाता है।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *