
गया : रविवार को संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों के द्वारा विशाल सत्संग समागम का आयोजन गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के चमरूचक गांव में प्रोजेक्टर के माध्यम से किया गया। इस मौके पर जिले के सभी प्रखंडों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु संत जी के प्रवचन सुनने के लिए पहुंचे। यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक किया गया। इस विशाल सत्संग में सृष्टि की रचना कैसे हुई ? श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी और श्री महेशजी के माता- पिता कौन है ? पूर्ण संत की क्या पहचान होती है ? इन सब प्रश्नों की जानकारी शास्त्रों से प्रमाणित करके बताई गई। संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग में बताया है कि शास्त्रों के अनुकूल भक्ति करनी चाहिए। जो शास्त्र अनुकूल भक्ति नहीं करते उनकी गति नहीं होती। सत्संग के बाद इंटरव्यू भी दिखाए गए जिसमें तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद अनुयायियों को क्या-क्या लाभ हुए। इस मौके पर संत रामपाल जी महाराज के द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ज्ञान गंगा, जीने की राह की प्रदर्शनी स्टॉल लगाई गई।

गया जिले के कॉर्डिनेटर रूपेश दास ने बताया की कबीर भक्ति मुक्ति ट्रस्ट हिसार हरियाणा की ओर से इस आध्यात्मिक सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। जिसका उद्देश्य समाज सुधार व कुरीतियों का विनाश करके स्वच्छ भारत का निर्माण करना है। सत्संग का आयोजन में उपस्थित सेवादारों ने बताया है कि तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य सच्ची आध्यात्मिक से परिचित करा कर लोगों के जीवन का कल्याण करना है। यही नतीजा है कि ज्ञान प्रचार के माध्यम से समाज में फैले भ्रष्टाचार, दहेज-प्रथा,कन्या भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी और अन्य बुराइयों को समाप्त कर रहे हैं। ज्ञात हो संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई किसी भी तरह का नशा तो दूर उसे हाथ तक नहीं लगाते और न ही किसी को नशा करने में मदद करते है। साथ ही समाज में फैली कुरीति दहेज प्रथा को समाप्त कर बिना एक रुपए की दहेज लिए शादियां संपन्न कराई जाती है।
अवश्य जाने संत रामपाल जी महाराज के उद्देश्य
