देवब्रत मंडल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में गया जिले के 10 विधानसभा क्षेत्र में 11 नवंबर को यहां के मतदाता वोट करेंगे। प्रथम चरण में 06 नवंबर को मतदान के लिए मंगलवार की देर शाम प्रचार का शोर थम गया। इसके साथ ही गया जिले में प्रचार प्रसार का शोर और बढ़ गया। गया जिले में 9 नवंबर की शाम प्रचार का शोर थम जाएगा। इसके बाद 11 नवंबर को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर्रेंगे।
बड़े नेताओं के आगमन से दोनों गठबंधन में उत्साह
दोनों गठबंधन के बड़े बड़े नेताओं के आगमन से गया जिले में चुनावी परिदृश्यों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मुख्य रूप से महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के आगमन से दोनों गठबंधन के घटक दलों में एक नया उत्साह देखने को मिल रहा है।
‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में नाम दर्ज कराने का दावा
इस बार गया जिले का हॉट सीट गया शहर विधानसभा क्षेत्र है। यहां करीब 36 सालों से भाजपा नेता डॉ प्रेम कुमार विधायक हैं। जो नौंवीं बार चुनाव मैदान में हैं। अबतक विपक्ष की दाल यहां नहीं गली है और इस बार भी एनडीए किसी और के पक्ष में इस सीट को नहीं जाने देने के लिए कमर कसे हुए हैं। एनडीए के लोगों का कहना है कि इस बार इस सीट को जीत कर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में प्रेम कुमार अपना नाम दर्ज कराने वाले हैं।
महागठबंधन एक बार पांच साल के लिए मांग रहा है मौका
विपक्षी दलों के गठबंधन ने कांग्रेस के नेता अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव पर फिर एक बार दाव लगाया है। महागठबंधन हर हाल में इस सीट पर अपना कब्जा करने के प्रयास में दिनरात जुटा हुआ है। महागठबंधन के लोग कह रहे हैं कि बहुत हो चुका। एक बार मोहन श्रीवास्तव को पांच साल के लिए मौका देकर देखें। शहरी क्षेत्र में नगर निगम के माध्यम से किए गए अबतक के विकास कार्यों को गिनवाते हुए काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों जीत के प्रति आश्वस्त
क्षेत्र भ्रमण पर और जनसंपर्क अभियान में जुटे दोनों गठबंधनों के कार्यकर्ता और नेता अपनी अपनी जीत हासिल करने के आत्मविश्वास से लबरेज हैं। दोनों के कुनबे हाथ जोड़कर अपने पक्ष में वोट करने की अपील करते नजर आ रहे हैं। दिन में जनसंपर्क तो देर रात तक बैठकें और मंथन कर रहे हैं। जातीय समीकरण से लेकर मत विभाजन की नीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। कहें तो ‘गोटियां फीट’ करने की जुगत में लगे हुए हैं।
अजीब उलझन में हैं नेता और मतदाता
सबसे बड़ी बात जो चर्चा में है। वो ये कि प्रेम कुमार हार भी जाएं और मोहन श्रीवास्तव जीते भी नहीं। ऐसे में तीसरे प्रत्याशी जो जनसुराज के हैं धीरेंद्र अग्रवाल उनकी चर्चा दोनों गठबंधन के लोगों में हो रही है। जिससे यहां के मतदाता और नेता दोनों कशमकश में हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों की नजरें जनसुराज के धीरेंद्र अग्रवाल पर है।
इस बार ‘संवदिया’ निभा रहे हैं अहम भूमिका
अन्दर की बात जो पता चली है कि दोनों गठबंधन से कई लोग जनसुराज के कुनबे में ‘संवदिया’ के तौर पर शामिल हैं। जो दोनों गठबंधन के नेताओं को जनसुराज की हर पल की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखते हुए पल-पल की सूचना दे रहे हैं। संवदिया के माध्यम से दोनों गठबंधन के लोग जनसुराज की ताकत(मिलने जा रहे वोट) का आंकलन कर रहे हैं। उसी को आधार बनाकर अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने की नीति पर काम कर रहे हैं।
जनसुराज के आने से जीत हार के अंतर पर भी हो रही चर्चा
बहरहाल, गया शहर के मतदाताओं से बातचीत करने पर यही सुनने को मिल रहे हैं कि जनसुराज के चुनाव मैदान में मजबूती से डटे रहने के कारण इस बार चुनाव परिणाम चौकाने वाले होंगे। बता दें कि पिछले चुनाव में हार और जीत के मतों के अंतर काफी कम भी नहीं थे तो बहुत ज्यादा भी नहीं थे। इस बार जनसुराज की उपस्थिति से जीत हार के मतों का अंतर या तो काफी कम हो सकता है या फिर काफी बड़ा भी हो सकता है। बहरहाल, ये तो 11 को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।
