कुल्हड़ वाली चाय और झारखंड की ‘राजनीति जायके’ का स्वाद ही कुछ और है

Deepak Kumar
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✍️ देवब्रत मंडल

इधर कुछ दिनों से झारखंड के दौरे पर हूं। ट्रेन से झारखंड की राजधानी रांची के लिए सफर कर रहा था। इस दौरान सफर का आनंद उस वक्त सुखद अनुभूति करा गया जब कोडरमा स्टेशन पर हमें कुल्हड़ वाली चाय पीने को मिला। हालांकि चाय ज्योंहि मैंने सीट के सामने बने डेस्क पर रखा, यहां से ट्रेन खुल गई। कुल्हड़ डगमगा गया और छलक कर थोड़ी सी चाय डेस्क पर गिर गई और वह डेस्क से होते हुए कोच के फर्स(नीचे) पर जा गिरी। इसके बाद गर्म चाय को पीने के लिए कुल्हड़ को होंठों पे लिया तो इसकी भीनी भीनी सोंधी खुशबू के साथ चाय की चुस्की का आनंद लेना शुरू किया।

ट्रेन पहाड़ों की कंदराओं और जंगलों को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। इस रेलखंड पर बने गुफाओं से होकर ट्रेन का गुजरना रोमांच से कम नहीं था। ऐसा नहीं कि पहली बार इस रेलखंड पर सफर कर रहा था। कई बार आना जाना हुआ है लेकिन इस बार झारखंड जाने का मकसद यहां की राजनीतिक सरगर्मियां को करीब से देखना था।झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में यहां के मतदाता और जनता क्या चाहती है इसका एक सैंपल टेस्ट लेने के लिए झारखंड आना हुआ था। यहां चुनावी बयार इस बार अंदर अंदर बह रही है। ऊपर में जो बहती दिखाई दे रही है वो केवल नेताओं के भाषणों तक ही सिमटी हुई नजर आई।

img 20241021 wa00507450500375015831777 कुल्हड़ वाली चाय और झारखंड की 'राजनीति जायके' का स्वाद ही कुछ और है

यहां के मूल आदिवासी समुदाय के लोगों से भी हमारी बात हुई तो कई ऐसे लोगों से भी जो यहां की चुनावी राजनीति को हवा देकर रुख मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कोई बाबूलाल मरांडी की पुरानी बातों को याद कर जनता को समझाने की कोशिश कर रहे हैं तो कई शिबू सोरेन के अवदानों की चर्चा कर रहे हैं। प्राकृतिक संपदा इस राज्य के आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ है तो कल कारखाने राज्य की आर्थिक धमनियों में बहने वाले रक्त के समान। यहां की साधारण और भोली भाली जनता यही कह रही है कि जब वोट डालने की बारी आएगी तो समझकर वोट कर आएंगे। एक सेवानिवृत्त राज्यकर्मी तो यह कह गए कि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे को देख लें, इससे ज्यादा हम क्या कहें। एक ई रिक्शा चालक ने कहा-जिंदगी यूं ही चलती रहेगी, वोट देने से पहले इन बातों में उलझने से क्या फायदा? आदिवासी समुदाय के कुछ लोग मिले तो इनका कहना था-जोहार झारखंड!

img 20241021 wa00492975954278033341884 कुल्हड़ वाली चाय और झारखंड की 'राजनीति जायके' का स्वाद ही कुछ और है

यहां बिहारियों की भी संख्या काफी अच्छी है। जो झारखंड बंटवारे के पहले से रह रहे हैं तो काफी बिहारी यहां बंटवारे के बाद भी आकर रहने लगे हैं। लेकिन इन्हें झारखंड सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इन सभी में से कुछ लोगों ने कहा-बिहार से अच्छा झारखंड है। रोजी रोटी का जुगाड़ के साथ अब तो जमीन भी खरीद कर घर मकान बना लिए हैं।
शेष अगली कड़ी में….

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Deepak Kumar – A dedicated journalist committed to truthful, unbiased, and impactful reporting. I am the Founder and Director of Magadh Live news website, where every piece of news is presented with accuracy and integrity. Our mission is to amplify the voice of the people and highlight crucial issues in society. "True Journalism, Unbiased News" – This is our core principle!
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