कानून केवल अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम नागरिकों के अधिकारों का संरक्षक है: राजेन्द्र प्रसाद

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

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कार्यक्रम में शामिल पदाधिकारी

बिहार विक्टिम 2014 योजना के अंतर्गत उर्दू मध्य विद्यालय गेवाल बिगहा गयाजी में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) गयाजी के अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक के दिशा निर्देश एवं जिला विधिक प्राधिकार के सचिव अरविंद कुमार दास की देखरेख में जिला विधिक जागरूकता कार्यक्रम रविवार क़ो आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य “बिहार विक्टिम 2014” योजना के अंतर्गत छात्रों को उनके विधिक अधिकारों की जागरूकता के सम्बन्ध में विशेष रूप से जानकारी देने हेतु किया गया। अपराध पीड़ितों के अधिकारों और सरकारी सहायता योजनाओं के विषय में जानकारी देना ही इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य है। राजेन्द्र प्रसाद, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट गयाजी के द्वारा छात्रों एवं विद्यालय प्रशासन को संबोधित करते हुए बातया गया जिसमे बिहार विक्टिम 2014 योजना का परिचय “बिहार विक्टिम कंपेन्सेशन स्कीम 2014” (Bihar Victim Compensation Scheme, 2014) राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक कल्याणकारी योजना है। जिसका उद्देश्य अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना विशेष रूप से उन मामलों में लागू होती है जहाँ पीड़ित को शारीरिक, मानसिक या आर्थिक क्षति हुई हो। योजना के अंतर्गत बलात्कार, एसिड अटैक, मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, हत्या या हत्या का प्रयास जैसे गंभीर अपराधों में पीड़ितों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि प्रदान की जाती है, ताकि समाज मे वे अपनी सामान्य जीवनचर्या को पुनः स्थापित कर सकें। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रधानाध्यापक युसूफ आलम द्वारा स्वागत भाषण से हुई। जिसमें उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रयासों की सराहना की। इसके पश्चात अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने प्रभावी एवं सरल भाषा में छात्रों को बताया और समझाया कि “कानून केवल अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम नागरिकों के अधिकारों का संरक्षक है।” उन्होंने कहा कि “बिहार विक्टिम योजना 2014” का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अपराध का शिकार व्यक्ति न्याय से वंचित न रहे। पीड़ितों के अधिकार और सहायता श्री प्रसाद ने छात्रों को बताया कि अपराध का शिकार होने के बाद सिर्फ एफ.आई.आर. दर्ज कराना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि पीड़ित व्यक्ति को योजना के अंतर्गत उचित लाभ और सहायता मिलनी चाहिए। इसी उद्देश्य से यह योजना बनाई गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई गंभीर अपराध होता है, तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष आवेदन दे कर सहायता राशि प्राप्त कर सकता है। यह सहायता पीड़ित की स्थिति, क्षति की गंभीरता और घटना की प्रकृति के अनुसार दी जाती है। उन्होंने छात्राओं को विशेष रूप से यह बताया कि अगर उनके साथ या उनके आस-पास किसी लड़की या महिला के साथ कोई अपराध होता है, तो वह डरें नहीं, बल्कि कानून की सहायता लें। डीएलएसए में निःशुल्क सहायता उपलब्ध है और कोई भी व्यक्ति वहां जाकर अपने अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।
छात्राओं की सहभागिता और प्रश्नोत्तर सत्र कार्यक्रम के दौरान छात्र छात्रों ने बड़ी सक्रियता दिखाई। कई छात्राओं ने बलात्कार पीड़ितों को मिलने वाली राशि, सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया, दस्तावेजों की आवश्यकता, और शिकायत कैसे दर्ज करानी है, जैसे विषयों पर प्रश्न पूछे। श्री प्रसाद ने बड़े धैर्यपूर्वक और सरल शब्दों में समझाते हुए सभी सवालों के उत्तर दिए। उन्होंने यह भी बताया कि पीड़ित को सहायता देने के लिए एक विधिक समिति बनाई जाती है, जो यह तय करती है कि किसे कितनी राशि की सहायता दी जाए।
साथ ही यह भी बताया गया कि यदि पीड़ित नाबालिग है, तो उसके अभिभावक की मदद से भी आवेदन किया जा सकता है।  विद्यालय के प्राचार्या ने डीएलएसए और अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम से हमलोगो और छात्राओं में न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि अपने अधिकारों के प्रति सजग भी होतें हैं। उन्होंने कहा कि समाज के लिए यह आवश्यक है कि कानून की जानकारी स्कूल स्तर से ही दी जाए ताकि बच्चे समाज के सजग और सशक्त नागरिक बनकर उभरें। इस मौके पर जिला विधिक प्राधिकार के रामपुर थाना के सब इंस्पेक्टर उमेश उरांव, प्रधान सहायक प्रतुल कुमार, उमेश कुमार पांडे शिक्षक एवं शिक्षिका अजीत विदुषी, जुलेखा, नुसरत, नगमा, परवीन नाज, फातिमा कोशीन ताक्सिन आरा समसी खातून नीलोफर नहीर सम अवतार के राय आदि उपस्थित रहे।

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