
भाकपा माले की एक उच्चस्तरीय टीम ने रविवार की शाम गया जिले के चाकंद के डब्बो–नबीनगर गांव का दौरा किया और लोगों से मुलाकात कर रामनवमी में हुई घटना की पूरी जानकारी लेने के बाद एक प्रेस नोट जारी कर बताया कि टीम में भाकपा माले के अरवल विधायक महानंद सिंह, किसान नेता डॉ. रामाधार सिंह व लीला वर्मा मौजूद थे। स्थानीय नेताओं में उनके साथ माले नेता और जिला कमेटी सदस्य मुंद्रिका राम, आइसा नेता मो. शेरजहां व नूर शेख उपस्थित थे। ग्रामीणों के साथ भाकपा माले नेताओं की बैठक हुई। जिसमें लोगों ने आपबीती बताई और कहा कि प्रशासन के खौफ से लोग गांव से भागे हुए हैं। पूरी घटना पुलिस प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। जांच टीम ने कहा कि बगैर पुलिस की अनुमति और लाइसेंस के कई जगह से रामनवमी का जुलूस निकला, जो गया पुलिस-प्रशासन की बड़ी चूक की ओर इशारा करता है। पुलिस अपनी सक्रियता से इन घटनाओं को रोक सकती थी। साथ ही समय रहते कारवाई नहीं करने से हालात बिगड़े। प्रेस नोट में कहा है कि वहीं एक पार्टी के लोगों ने प्लानिंग के तहत जिस गांव से कभी जुलूस नहीं निकलता था, वहां से जुलूस निकालकर सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया। चाकंद बाजार से 28 मार्च को बगैर लाइसेंस रामनवमी से पहले एक बाइक जुलूस निकलने और अमराहा पंचायत के कासमा गांव में प्रवेश कर नारेबाजी करने पर पुलिस की तरफ से प्राथमिकी भी दर्ज हुई है।
मगर कोई कारवाई नहीं हुई। वहीं डब्बो में हुई घटना पर भी गया पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह साफ है की 31 मार्च को ढकाईन से रामनवमी का जुलूस बिना अनुमति के डब्बो गांव के तरफ से जा रहा था जिसपर टकराव हो गया। यहां भी बिना अनुमति के जुलूस निकलना व डीजे पर भड़काऊ नारे और गाना बजना पुलिस की विफलता को ही दिखाता है। दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन घटना के दोषियों को पकड़ने के बजाय संतुलन बनाकर कारवाई कर रही है जो कहीं से भी उचित नहीं है। हमले के पीड़ितों को ही जेल भेजा जा रहा है और निर्दोष लोगों को परेशान किया जा रहा है। इन घटनाओं से साफ है की रामनवमी जैसे संवेदनशील पर्व पर जिस सक्रियता और सख्ती से पुलिस को कार्य करना था वो नहीं किया गया। जिसके नतीजे में टकराव और विवाद की घटनाएं हुई। माले नेताओं ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा की पुलिस अपनी विफलता छुपाने के लिए निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।