
यदि आप गया शहर के निवासी हैं तो सुबह सुबह अपने अपने घरों से किसी भी काम से बाहर निकल कर सड़क पर आते हैं तो जरा संभल कर जाइएगा। नहीं तो आवारा पशु आपको हानि पहुंचा सकते हैं। सुबह में सैंकड़ों बच्चे स्कूल के लिए, ट्यूशन, कोचिंग सेंटर जाने के लिए निकलते हैं। छोटे छोटे बच्चों के साथ इनके अभिभावक भी होते हैं। जिस वक्त ऐसे जरूरतमंद लोग सड़क पर आते हैं तो इनका सामना इन आवारा पशुओं से होता है। मानो सुबह में आवारा पशुओं का कब्जा रहता है। सड़क पार करना भी बड़ा मुश्किल होता है। गलती से यदि थोड़ी चूक हुई नहीं कि आप खतरे में पड़ जाएंगे। वहीं सुबह में लोग सैर सपाटे के लिए या तो सड़कों के किनारों पर या फिर कोई ऐसी जगह पर टहलने या व्यायाम के लिए निकलते ही हैं। जिनका सामना इन आवारा पशुओं से हर दिन हो ही जाता है।
कुछ लोग इस मान्यता के भी पक्षधर हैं कि घर की पहली रोटी गौमाता को खिलाते हैं। ऐसे लोग या तो अपने घर के दरवाजे पर या फिर सड़क पर निकल कर गौ माता को रोटी खिलाते हैं। जिस वजह से भी कई मोहल्ले में या सड़कों पर गाय आना जाना करते हैं। वहीं सड़क किनारे पसरे कचरे के ढेर पर ये आवारा पशु अपना चारा भी ढूंढने के लिए आना जाना करते हैं। शहर के हर हिस्से में ऐसे आवारा पशुओं को सड़क पर आपको देखने के लिए मिल जाएंगे।

इन आवारा पशुओं के कारण सड़क पर पैदल चलने वालों में भय है। आखिर बोले तो किससे? अपने वार्ड पार्षद से या फिर गया नगर निगम के पदाधिकारियों से। बुधवार की सुबह शहर के नादरगंज पर आवारा पशुओं का ऐसा कब्जा दिखा। स्कूली बच्चे से लेकर आम आदमी डर कर सड़क पार कर रहे थे। नादरागंज के एक युवक ने कहा कि सुबह में स्कूली बच्चे, ट्यूशन(कोचिंग में) पढ़ने वाले छात्रों को कई बार इन पशुओं के कारण परेशानी होती है। इनका कहना था कि निगम प्रशासन केवल कागजों पर आवारा पशुओं के पकड़ने के लिए आर्डर निकालते हैं लेकिन इसका अनुपालन होते नहीं दिखता।

आगे बढ़ने पर कोयरीबारी मोहल्ले के मुख्य मार्ग पर आवारा पशुओं को विचरण करते हुए देखा गया। कई जगहों पर देखा गया कि जिस स्थान पर कचरे को एकत्र कर रखा जाता है, उस स्थान पर पशुओं का झुंड लगा रहता है। कुछ मोहल्ले में तो सड़कों के किनारों पर लोग अपने पशुओं को बांध कर रखते हैं। कई जगह खटाल भी है लेकिन इन लोगों पर प्रशासन का डंडा कभी कभार ही चलते हुए देखा गया है। बाद में पुनः वही हाल और जनता बेहाल।