सीटों का बंटवारा, प्रत्याशी का चयन, दरस को नयन, दलों के साथ साथ मतदाता भी बेचैन

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

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बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान हो चुके हैं। बिहार में इस बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण में 06 नवंबर को और दूसरे चरण का चुनाव 11 नवंबर को होना है। चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के एलान कर दिए जाने के बाद अब सत्तारूढ़ दलों के द्वारा और विपक्ष दलों में अबतक सीट शेयरिंग का फार्मूला तय नहीं हो सका है। ऐसे में बिहार के मतदाताओं में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है कि आखिर उनके निर्वाचन क्षेत्र से महागठबंधन के कौन प्रत्याशी होंगे और एनडीए से कौन उम्मीदवार बनेंगे।

जनसुराज बन गई है चिंता का कारण

दरअसल दोनों गठबंधन प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची कर रहे हैं कि आखिर किसे उम्मीदवार घोषित किया जाए जो रण में बाजी मार सकता है। इस बीच बिहार की राजनीति में एक अलग केमिस्ट्री के रूप उभर कर आया है और वह है प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज। सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन के लिए पीके चिंता का कारण तो जरूर बन गए हैं।

जात, जमात की राजनीति से कोई दल अछूता नहीं

जात और जमात की राजनीति से बिहार भी अछूता नहीं है। यहां टिकट देने से पहले इस समीकरण का सबसे पहले ख्याल रखा जाता है और इसके बाद प्रत्याशी के चेहरा, चाल और चरित्र को भी देखा जाता है। ऐसे में एनडीए, महागठबंधन और प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ऐसे प्रत्याशियों को दांव पर लागाएंगे जो जीत के सारे आधार पर फिट बैठता हो।

मगध प्रमंडल में जीत हार का गणित काफी टेढ़ा

बिहार के 243 विधानसभा सीटों में 26 सीट मगध प्रमंडल में हैं। मगध क्षेत्र में जीत हार का गणित काफी टेढ़ा है। यहां उम्मीदवार के चयन से लेकर मतदाताओं के रुख, दोनों का ख्याल रखकर ही हर दल अपना अपना प्रत्याशी घोषित करते हैं। मगध प्रमंडल के 26 सीटों पर होने जा रहे चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है। बहरहाल, सभी सीटिंग एमएलए को टिकट दिया जाता है या नहीं, ये फैसला अबतक किसी गठबंधन ने खुलकर नहीं कहा है।

नेताओं में टिकट को लेकर बेचैनी बनी हुई है

मतदाता अब चुनाव को लेकर तैयार हो गए हैं। केवल इन्हें प्रत्याशी चाहिए। जिनके दरस के लिए बेचैन हैं। बेचैनी नेताओं में भी है। टिकट मिलेगा या नहीं, इसको लेकर चक्कर लगा रहे हैं। हर पार्टी अपने आंतरिक सर्वे को लेकर उलझी हुई है कि आखिर किस सीट पर किसे प्रत्याशी घोषित किया जाए, जो सामने वाले को कड़ी टक्कर ही केवल नहीं दे, बल्कि जीत हासिल कर सके। मतदाता अपने नेताओं के दरस का इंतजार कर रही है।

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