रिपोर्ट: दीपक कुमार
गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के डुमरीचट्टी पंचायत अंतर्गत शाहपोखर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने एक गरीब किसान परिवार की उम्मीदों को राख में मिला दिया। शनिवार देर रात करीब 12 बजे, किसान द्वारिका यादव के खेत में रखे गेहूं के करीब 580 बोझे आग की भेंट चढ़ गए। खलिहान में रखी यह फसल उस मेहनत का नतीजा थी, जिसके भरोसे द्वारिका यादव और उनके परिवार का जीवन चलता था। लेकिन अब, इस आग ने न सिर्फ उनकी आजीविका छीन ली, बल्कि उनके सपनों को भी जलाकर खाक कर दिया।
पीड़ित किसान के बेटे श्याम सुंदर यादव ने मगध लाइव को बताया कि यह फसल उनके परिवार के लिए जीवन रेखा थी। “हम छोटे किसान हैं। इसी खेती के भरोसे मेरा घर चलता है। इस बार अच्छी फसल हुई थी, और इसी के दम पर मेरी छोटी बहन की शादी तय हुई थी। कुछ महीनों बाद उसकी शादी होनी थी,” श्याम सुंदर ने भावुक होते हुए कहा। उनकी आवाज में दर्द साफ झलक रहा था जब उन्होंने आगे कहा, “लेकिन अब ये आग मेरे पूरे परिवार के लिए संकट बन गई है। मैं अपनी बहन की शादी कैसे कर पाऊंगा? सब कुछ खत्म हो गया।”
रात के सन्नाटे में गूंजी चीखें
शनिवार की रात जब आग की लपटें खलिहान में उठीं, तो ग्रामीणों ने शोर सुनकर मदद के लिए दौड़ लगाई। लेकिन लपटें इतनी तेज थीं कि ग्रामीणों के तमाम प्रयास बेकार साबित हुए। देखते ही देखते, मेहनत से उगाई गई गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। आग लगने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया।
परिवार की गुहार: सरकार से मुआवजे की मांग
श्याम सुंदर ने बताया कि घटना की जानकारी फतेहपुर थाने में लिखित आवेदन के जरिए दी गई है। साथ ही, अंचलाधिकारी को फोन पर सूचना दी गई है। परिवार ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है, ताकि इस संकट की घड़ी में उनकी कुछ मदद हो सके। “हमारे पास अब कुछ नहीं बचा। सरकार अगर मदद नहीं करेगी, तो हमारा परिवार कहां जाएगा?” श्याम सुंदर की यह पुकार हर उस किसान की व्यथा को बयां करती है, जो प्रकृति और परिस्थितियों की मार से जूझता है।
एक अनसुलझा सवाल: आग कैसे लगी?
आग लगने के कारणों की जांच अभी बाकी है। क्या यह हादसा था, या इसके पीछे कोई साजिश? ग्रामीणों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं हैं, लेकिन सच्चाई सामने आने का इंतजार है। फिलहाल, द्वारिका यादव और उनके परिवार के लिए यह घटना एक ऐसी त्रासदी बन गई है, जिसने उनकी जिंदगी को अंधेरे में धकेल दिया।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
यह घटना न सिर्फ एक परिवार की कहानी है, बल्कि उन लाखों छोटे किसानों की हकीकत को उजागर करती है, जो अपनी मेहनत और फसल के भरोसे जिंदगी चलाते हैं। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज इस परिवार के साथ खड़ा होगा? क्या द्वारिका यादव के सपने फिर से हकीकत बन पाएंगे? शाहपोखर की यह आग सिर्फ गेहूं के बोझों को नहीं जलाकर गई, बल्कि एक गरीब किसान के परिवार की उम्मीदों को भी अपने साथ ले गई।