झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए सख्त सजा और सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड का है प्रावधान

Deepak Kumar
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टिकारी संवाददाता: दक्षिण केंद्रीय विश्वविद्यालय यानी सीयूएसबी के स्कूल आफ ला एंड गवर्नेंस (एसएलजी) के अंतर्गत कार्यरत लीगल एड क्लिनिक द्वारा कम्पेरेटिव एनालिसिस आफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विषय पर आनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित पैनल चर्चा के अतिथि वक्ता डा. असद मलिक (विधि विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय) ने भारतीय न्याय संहिता में जोड़े गए छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में जोड़ना, भीड़ द्वारा हत्या को मृत्युदंड के साथ अपराध के रूप में शामिल करना, झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए सख्त सजा और इसी तरह सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड सहित जोड़े गए 20 नए अपराधों पर चर्चा की।

डा. मलिक ने बताया कि परिभाषा अनुभाग में जमानत, जमानत बांड और ई-संचार की परिभाषा जोड़ी गई है। जांच की प्रगति के बारे में पीड़ित को सूचित करने की प्रक्रिया, सूचना रिपोर्ट के 24 घंटे के भीतर पीड़ित की चिकित्सा जांच, पीड़ितों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार, फैसले की मुफ्त प्रति, इलेक्ट्रोनिक जांच, पीड़ित के बयान की वीडियो रिकार्डिंग, 7 दिनों के भीतर चिकित्सक द्वारा चिकित्सा रिपोर्ट और पीड़ितों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव भी किए गए हैं।

पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अवधेश कुमार ने कानून में महत्वपूर्ण बदलावों और कानूनी व्यवस्था के लिए उनके निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए निष्पक्ष और प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए नए कानूनों को समझने के महत्व पर जोर दिया।  उन्होंने बताया कि ये पिछले कानूनों में कुछ नाममात्र के बदलाव हैं। वकील और पुलिस अधिकारियों को ज्यादा दिनों तक समस्या नहीं होगी। यह केवल धाराओं की संख्या में बदलाव है और कुछ ही नए धाराएं जोड़ी गई है। अन्य अतिथि वक्ता डा. शशिकांत त्रिपाठी (निदेशक, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर) ने बताया कि कैसे बीएनएसएस सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाएगा और व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता को संतुलित करके निर्दोषों की रक्षा करेगा।

डा. त्रिपाठी ने बताया कि बीएनएसएस समय सीमा के भीतर न्याय प्रदान करने के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली में पुलिस, अभियोजक और न्यायपालिका की भूमिका को कैसे प्रभावित करेगा। नए आपराधिक कानूनों के बारे में विभिन्न अंतर्दृष्टि पर प्रो. एसपी श्रीवास्तव और डा. सुरेंद्र कुमार ने भी चर्चा की। 

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