
गया, 25 जुलाई – बिहार की धरती पर एक और बेटी के सपने बिखर गए। गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र के केवटी गांव में संगीता कुमारी नाम की एक युवा विवाहिता की जिंदगी की डोर अचानक टूट गई। उसकी मौत की खबर ने न सिर्फ एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
संगीता की कहानी हर उस लड़की की कहानी है, जो शादी के बंधन में बंधते ही खुद को एक पिंजरे में कैद पाती है। उसके भाई रजनीश की आंखों में आंसू हैं और आवाज में दर्द, जब वह बताते हैं कि कैसे उनकी बहन पर दहेज के लिए लगातार दबाव बनाया जाता था।
“वह हमेशा मुस्कुराती थी, लेकिन उसकी आंखों में दर्द छिपा था,” रजनीश ने कहा। “हमने कभी नहीं सोचा था कि उसकी मुस्कान इतनी जल्दी हमसे छिन जाएगी।”

संगीता के 16 महीने के बेटे की मासूम आंखें अब मां को ढूंढ रही हैं। वह नहीं जानता कि समाज की क्रूरता ने उससे उसकी मां छीन ली है। रजनीश कुमार ने बताया कि उन्हें बुधवार शाम को संगीता की तबीयत खराब होने की सूचना मिली थी। जब वे घर पहुंचे, तो वहां की स्थिति देखकर उन्हें संदेह हुआ।
अतरी थाने की पुलिस ने मामले में नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस ने पहाड़ पर जाकर जांच की और शव जलाने की पुष्टि की। वहां से मृतका का पायल भी बरामद हुआ है। थानाध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद ने कहा, “हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”।
लेकिन क्या सिर्फ कानूनी कार्रवाई से इस समस्या का हल निकलेगा? क्या हमारा समाज कभी बदलेगा? ये सवाल हर किसी के जेहन में हैं।
समाजसेवी सत्यवती गुप्ता कहती हैं, “हर बेटी के माथे पर दहेज का दाग लगाना बंद करना होगा। उन्हें सम्मान और स्वतंत्रता दें। तभी ऐसी घटनाएं रुकेंगी।”
संगीता की मौत सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक आईना है। यह वक्त है कि हम इस आईने में अपना चेहरा देखें और बदलाव की शुरुआत खुद से करें। ताकि कोई और संगीता अपने सपनों से पहले न टूटे।