देवब्रत मंडल
गया बार एसोसिएशन का चुनावी प्रक्रियाएं समाप्त हो चुकी। चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर निर्वाचन तक सभी बेहतर तरीके से संपन्न हो गया। चुनाव के परिणाम के बाद जिन्होंने जीत दर्ज की उन्हें अब बार में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। बार एसोसिएशन के सदस्यों ने अपने अपने विवेक से चुनावी प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से निभाया। खासकर मुख्य निर्वाची पदाधिकारी मुकेश चंद्र सिन्हा। जिन्होंने लोकतंत्र में मताधिकार के महत्व को समझा और दिन रात एक करते हुए सहायक निर्वाची पदाधिकारी के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए चुनाव को निष्पक्ष तरीके संपन्न कराया। जिसकी तारीफ सभी अधिवक्ता कर रहे हैं। चुनाव एक ऐसा शब्द है जो मानस पटल पर एक अलग ही प्रभाव डालता है जो चुनावी प्रक्रियाओं के दौरान देखने को मिला। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चुनाव में एक जीतता है तो दूसरा हारता है। ये सर्वविदित है। जीत हार हो गया और अब समय आ गया है कि बार के सदस्यों को वे सारे अधिकार दिलाने की, जो बार काउंसिल ने गाइडलाइंस तय किए हैं।
नौ साल पहले 2016 में हुए चुनाव के बाद 2018, 2020, 2022 में ही चुनाव हो जाना चाहिए था। जो नहीं हो सका। बहरहाल, 2025-27 के लिए चुनाव हुआ और सब कुछ सही तरीके से करा लिया गया। अब नई कमेटी एक दो दिनों में नई चुनौतियों के साथ काम करने के लिए तैयार हो जाएगी। यानी पदभार ग्रहण करने के बाद निर्विवाद रूप से सभी को साथ लेकर चलेगी ऐसी उम्मीद बार के सारे सदस्य कर रहे हैं। नवनिर्वाचित अध्यक्ष और सचिव को गया बार का एक लंबा अनुभव रहा है। साथ ही अन्य कई पदधारकों को इसका अनुभव है। कुछ नए हैं लेकिन बार के बारे में सबकुछ जानते हैं। अब कोशिश ये होनी चाहिए कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुए सारे मतभेदों को भूला दिया जाए और एक नए इतिहास का निर्माण किया जाए। जिससे बार के सारे सदस्यों का कल्याण हो।