
पिछले दिनों गया के बाल सुधार गृह(रिमांड होम) में बंदी अविनाश की मौत के बाद एक तरफ उसके परिजनों ने जहाँ हत्या का आरोप लगाते हुए एक कांड दर्ज कराया है। वहीं दूसरी तरफ डीएम डॉ त्यागराजन इस घटना की न्यायिक जांच के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखा है। वहीं शुक्रवार को गया बार एसोसिएशन ने इसी मुद्दे को लेकर अहम बैठक कर बड़ा फैसला लेते हुए रिमांड होम के केस से स्वयं(अधिवक्ता) को अलग रहने का निर्णय लिया है। बैठक के बाद एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से शुक्रवार को एक प्रेस बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि गया बार एसोसिएशन के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को गया के ऑब्जर्वेशन होम में हुई घटना(अविनाश की मौत) पर चर्चा के लिए एक अत्यावश्यक आम सभा की गई।
सचिव मुरारी कुमार हिमांशु ने बताया कि विस्तृत चर्चा के बाद सर्वसम्मति से निम्नलिखित संकल्प को पारित किया गया है।
जिसमें यह संकल्प लिया जाता है कि किशोर न्याय बोर्ड में हुई घटना के कारण अधिवक्ता किशोर न्याय बोर्ड सहित अदालती कार्य से विरत रहेंगे।

साथ ही यह तय किया गया है कि जांच के लिए एक न्यायिक जांच स्थापित की जा सकती है अविनाश कुमार नाम के बच्चे की ऑब्जरवेशन होम में हत्या और रिमांड होम के अधीक्षक की भागीदारी पर चर्चा की गई। अधिवक्ताओं ने यह भी संकल्प लिया है कि किसी अवयस्क की ओर से दायर की गई जमानत याचिका की सुनवाई उसी दिन की जानी चाहिए न कि बाद में प्रक्षेप करके। साथ यह भी संकल्प लिया गया है कि गया के वर्तमान संरक्षा गृह और सिविल कोर्ट में तत्काल सुधार किया जाए और सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की जाए। इधर, एक अधिवक्ता ने बताया कि प्रिंसिपल जज का पद प्रभार में रहने के कारण किशोर से संबंधित वादों की सुनवाई नियमित नहीं हो पा रही है। ऐसे में स्थायी रूप से इसकी व्यवस्था जरूरी महसूस किया जा रहा है। साथ ही बैठक में यह भी संकल्प लिया गया है कि सीआईसीएल, जो बहुमत प्राप्त कर चुका है, को तत्काल हटा दिया जाए और सुरक्षित स्थान पर भेज दिया जाए। एसोसिएशन ने आज हुई बैठक में लिए गए संकल्पों से पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं संबंधित को अवगत कराया है।