जदयू में रहते खुद को “राम चन्द्र” कहने वाले आरसीपी सिंह भाजपा में हुए शामिल

Deepak Kumar
4 Min Read

वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

जदयू में रहते खुद को “राम चन्द्र” कहने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह आज भाजपा में शामिल होने के बाद खुद को अच्छा महसूस कर रहे की बात कह रहे हैं। आरसीपी सिंह की भाजपा में क्या वो “हैसियत” रह जायेगी? जो सम्मान और आदर इन्हें जदयू के शीर्ष नेता के रूप में मिल चुका है। भाजपा का दामन थाम लेने के बाद पार्टी के एक ‘सिपाही’ की हैसियत से फिलहाल इन्हें हाथ में केवल एक ‘डंडा’ ही रहेगा, जिसे किसी पर ‘वार’ करने से पहले इन्हें अपने ‘वरिष्ठों’ से आदेश लेना होगा। क्योंकि भाजपा में सभी को बोलने की आजादी नहीं देखने को मिलती है, बल्कि केवल हामी भरने की आजादी दिखाई देती है। वरिष्ठ नेता के आदेश के बिना किसी पर डंडा चला भी नहीं सकते। देखा गया है कि अवसरवाद और जातिवाद से ऊपर समाजवाद हमेशा ऊपर रहा है, आज भले ही भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो चुका है, लेकिन इस पार्टी के जन्म लिए कितने साल ही हुए हैं। 1980 में ही तो इस दल का जन्म हुआ है। जिसके ‘सिपाही’ बनकर खुद को ‘आह्लादित’ हो रहे आरसीपी सिंह की पहचान समाजवाद की विचारधारा से ओतप्रोत नहीं रही है, बल्कि जनसेवक (सरकारी सेवक) के रूप में एक अधिकारी रह चुके हैं। जिन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में उचित सम्मान देने का काम किया और एक नेता के रूप में अलग पहचान दिलाई। जदयू को अंदर अंदर कमजोर करने की साजिश में लगे रहे। जिसका भान मुख्यमंत्री नीतीश को हो चुका था। एकमात्र अभिलाषा राज्यसभा सांसद नहीं बन पाने की मोह में आरसीपी सिंह जदयू से अलग हो गए। ये इनके अवसरवादी होने का इससे बड़ा उदाहरण क्या सकता है। कोई भी दल और शासक बुरा नहीं होते। बुरा तब होते हैं, जब दल के नेता या दल के लोगों में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा जन्म ले लेती है। आरसीपी सिंह जो आज कह रहे हैं, ये बीते हुए कल को भी कह सकते थे, कोई उन्हें रोक थोड़े ही रखा था, जब आज ‘नए घर’ में गए तो उस ‘पुराने घर’ और उसके ‘मुखिया’ को ही गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, ये किसके इशारे पर कह रहे हैं, बतलाने की जरूरत नहीं। जहां राजनीतिक की ABCD की शिक्षा दीक्षा ग्रहण की। उसी ‘गुरुकुल’ को गलत कह रहे हैं। कल को भाजपा में इनकी महत्वाकांक्षा यदि पूरी नहीं होती है तो हो सकता है इस पार्टी के शीर्ष नेताओं पर भी लांक्षण लगाने से ये नहीं चूकेंगे।
अभी कुछ देर है आगामी लोकसभा चुनाव में, लेकिन जब समय आएगा तो इन्हें भी जनता बता देगी कि राजनीति में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने वाले नेताओं का क्या हाल होता है। मेरा मानना है कि जब भाजपा लालकृष्ण आडवाणी, गोविंदाचार्य, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती आदि जैसे सरीखे के कई नेताओं की नहीं हो सकी, तो आरसीपी सिंह के साथ कितना न्याय करेगी, ये तो भविष्य ही बताएगा।

TAGGED:
Share This Article
Follow:
Deepak Kumar – A dedicated journalist committed to truthful, unbiased, and impactful reporting. I am the Founder and Director of Magadh Live news website, where every piece of news is presented with accuracy and integrity. Our mission is to amplify the voice of the people and highlight crucial issues in society. "True Journalism, Unbiased News" – This is our core principle!
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *