✍️ देवब्रत मंडल
गया संसदीय क्षेत्र के लिए नामांकन पत्रों की जांच का काम पूरा हो गया। चुनाव मैदान में अबतक 15 अभ्यर्थी हैं। जिसमें दो अभ्यर्थी मुख्य रूप से चर्चा में हैं। एनडीए से जीतनराम मांझी तो महागठबंधन से कुमार सर्वजीत। अगले महीने मतदान केंद्र पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। फैसला मतदाताओं के हाथ में है इसलिए इन दोनों को जीत हासिल करने के लिए मतदाताओं का साथ चाहिए। दोनों की जीत दिलवाने के लिए दोनों के समर्थक अपने अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यहां मांझी के समर्थकों का कितना साथ मिलेगा ये तो परिणाम ही बताएगा।
जीतनराम मांझी इसके पहले भी लोकसभा चुनाव गया से लड़ चुके हैं और परिणाम का स्वाद भी चख चुके हैं। पिछले चुनाव में जो इन्हें हराने में लगे हुए थे उन्हें इस बार जीत दिलाने के लिए एड़ी चोटी एक करते नजर आ रहे हैं।
मांझी के समर्थकों का एक वर्ग है जो इनसे प्रभावित रहे हैं लेकिन दलगत राजनीति की बात जब आती है तो इनके उन्हीं समर्थकों के साथ उलझनें सामने आ जाती है। ये अलग बात है कि इनके सामने खुलकर अपनी दिल की बात नहीं कह पाते हैं लेकिन मतदान इससे प्रभावित हो जाता है।
ठीक इसके विपरीत देखें तो गया संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते आ रही कांग्रेस और राजद के समर्थकों के साथ वैसी कोई उलझनें नहीं है। इसके पहले हुए चुनाव में अपने प्रत्याशी को जीत दिलवाने के लिए काफी बढ़चढ़ कर प्रयास करते आए हैं। इनके समर्थकों के साथ उलझन की जगह नहीं नजर आ रही है।
जीतनराम मांझी के समर्थित लोगों से जब Magadhlive की टीम ने ऑन द रिकॉर्ड बात करनी चाही तो पहले तो कुछ भी कहने से साफ इनकार कर गए लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड की बात पर कुछ कहने को राजी हुए। इनके समर्थकों(फॉलोवर्स) में एक नेताजी ने कहा कि जिस दल की विचारधारा के विरोध में इनके साथ जुड़े हैं तो भला कैसे हम इनके लिए वोट डालने के लिए किसी को कह सकते हैं। एक नेताजी ने बताया कि दल बदलना अलग बात है दिल बदलना बड़ा ही मुश्किल है। इन दोनों का इशारा किस दल के लिए है बताने की जरूरत नहीं। एक नेताजी ने तो पश्चिम बंगाल के एक उम्मीदवार अर्जुन सिंह से तुलना करते हुए कहा कि हमारी आस्था जीतनराम मांझी में तो है लेकिन जिस दल के साथ हाथ मिला लिए हैं तो हमें भी तो आगे की राजनीति करना है। मांझी के एक कट्टर समर्थक ने बताया कि जिस ओर वे चलेंगे हम उनके लिए सबकुछ सहने को तैयार हैं। एक का कहना था कि पिछली बार सांसद विजय मांझी के साथ अलग बात थी लेकिन इस बार जीतनराम मांझी के साथ वो बात नहीं।