पूर्णिया लोकनाच उत्सव में गया के बच्चों ने मगही लोकनृत्य से जीता दिल

Deepak Kumar
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पूर्णिया में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय लोकनाच महोत्सव में बिहार के विभिन्न जिलों से आए 300 से अधिक बच्चों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस उत्सव में गया किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों ने मगही लोकनृत्य “पणिहारिया” की शानदार प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। नृत्य के निर्देशक गौतम कुमार गोलू ने बताया कि बिहार के 9 प्रमंडलों से आए बच्चों ने अपने-अपने क्षेत्र के लोकप्रिय लोकनृत्यों को प्रस्तुत किया, लेकिन गया के मगही लोकनृत्य ने दर्शकों और अतिथियों के बीच खास पहचान बनाई।

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मगही लोकगीतों पर आधारित इस प्रस्तुति में नन्हे कलाकारों ने गायन और नृत्य का ऐसा समन्वय प्रस्तुत किया कि दर्शक झूम उठे। खासकर छोटी-छोटी बच्चियों के मगही अंदाज में नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूर्णिया किलकारी कैंपस तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। संगतकार दिनेश कुमार मौउर के तबले की थाप ने भी प्रस्तुति में चार चांद लगाए, जिसकी खूब सराहना हुई।

गया किलकारी के प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि गया की ओर से दो प्रस्तुतियां तैयार की गई हैं। पहली प्रस्तुति में बच्चे लाइव गायन और वादन के साथ मगही लोकनृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं दूसरी प्रस्तुति कबीर मथुरा प्रसाद के गीत “कसम खाइयो गंगा जी के” पर आधारित है। सुबह के सत्र में बच्चों ने योग किया, जबकि दोपहर के संवाद सत्र में नृत्य विशेषज्ञ सुदीप बोस ने बच्चों के सवालों के जवाब दिए और नृत्य कला के गुर सिखाए।

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इस प्रस्तुति में शामिल प्रमुख बच्चियों में रिया कुमारी, स्वाती राज, अमीषा कुमारी, खुशी कुमारी, रुपाली कुमारी, प्रियांशी कुमारी, मुस्कान कुमारी, शैली कुमारी, इशिका कुमारी, ऋषिका सिंह, तानिया कुमारी, छोटी कुमारी और शाश्वत कुमार शामिल थे। क्राफ्ट प्रशिक्षक कल्पना सिंह भी इस दौरान मौजूद रहीं।

कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्णिया कमिश्नर राजेश कुमार, डीएम कुंदन कुमार, किलकारी की निर्देशक ज्योति परिहार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया। यह आयोजन बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बच्चों के माध्यम से बढ़ावा देने का एक शानदार प्रयास साबित हुआ।

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